अवधनामा संवाददाता
बांदा। गुरुवार को रेलवे स्टेशन परिसर पर जिला मानसिक स्वास्थ कार्यक्रम बांदा द्वारा मानसिक उपचार एवं जागरूकता शिविर लगाया गया जिसका उद्घाटन मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अनिल कुमार श्रीवास्तव व अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अजय कुमार एवं स्टेशन मास्टर मनोज कुमार शिवहरे ने फीता काटकर किया।मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अनिल कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि भ्रमित सोच लंबे समय तक अवसाद (उदासी या चिड़चिड़ापन)अत्यधिक उतार या चढ़ाव की भावनाएं अत्यधिक भय, व्यग्रता और चिंताएं। समाज से दूरी बनाना खाने या नींद की आदतों में आकस्मिक बदलाव अत्यधिक क्रोध की भावनाएं। विचित्र विचार (भ्रम) है तो मानसिक रोग हो सकता है। मानसिक रूप से बचाव के लिए लोगों से जुड़ा हुआ महसूस करना भी बेहद ज़रूरी है। इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और खुद की एहमियत व कीमत भी महसूस होगी। अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ थोड़ा वक़्त बिताने की कोशिश करें। ज़रूरी नहीं है कि आप सामने ही बात करें, फ़ोन पर, मैसेज करके या कॉल करके भी बात कर सकते हैं।अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अजय कुमार ने बताया कि उन चीजों को देखना या सुनना जो नहीं हैं (मतिभ्रम)दैनिक समस्याओं और गतिविधियों से निपटने में असमर्थता बढ़ रही है आत्मघाती विचार मन में आ रहे हैं तो मानसिक रोग हो सकता है उसके लिए काउंसलिंग अत्यंत आवश्यक है साथ ही मनोरोग चिकित्सक या विशेषज्ञ की सलाह व दवा ले सकते हैं। मनोरोग चिकित्सक डा0 हर दयाल मानसिक रोगियों का उपचार व काउंसलिंग डॉ0 रिजवाना हाशमी के द्वारा की गई । अनुश्रवण एवं मूल्यांकन अधिकारी नरेन्द्र कुमार मिश्रा ने बताया कि रोज़ाना व्यायाम करें, लेकिन यह ज़्यादा कठिन नहीं होने चाहिए। व्यायाम शुरू करने के लिए हल्के-हल्के व्यायामों का चयन करें, जैसे रोज़ कुछ दूरी तक पैदल चलें, योग करें। सबसे ज़रूरी चीज़ ये हैं कि आप वहीं योग या प्राणायाम चुनें जो आपको करना पसंद हो या जिसमें आपको मज़ा आता हो। इस तरह आप इन गतिविधियों से जुड़े भी रहेंगे। शिविर में साइकाइट्रिक त्रिभुवन नाथ द्वारा लोगों को मानसिक रोग से बचाव के तरीके बताए गए। आए हुए लोगों को केस रजिस्ट्री असिस्टेंट अनुपम त्रिपाठी द्वारा पंपलेट बांटकर जागरूक किया गया। शिविर में स्टेनो बृजेंद्र कुमार मिश्रा व रेलवे कर्मचारी उपस्थित रहे।