अवधनामा संवाददाता
ललितपुर। भूमि पर कब्जा बुन्देलखण्ड में राजस्व प्रशासन के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। इन अवैध कब्जो को हटाने के लिए नायबतहसीलदार से लेकर राजस्व परिषद तक तमाम कानूनी लड़ाईयाँ काश्तकारों के मध्य लड़ी जा रही है। उ0प्र0 राजस्व संहिता 2006 में इसके निदान के लिए तमाम कानूनी उपबंध भी हैं।दो काश्तकारों की निजी भूमियों के विवाद को राजस्व न्यायिक अदालतों के द्वारा ही हल किए जाने की व्यवस्था है। तहसील प्रशासन व्यक्तिगत भूमि विवादों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता ऐसा उच्च न्यायलय एवं सर्वोच्च न्यायलय की भी व्यवस्थाएं हैं। परन्तु झाँसी मण्डल के पूर्व मण्डलायुक्त डा.अजय शंकर पाण्डेय ने अन्तरात्मा की आवाज पर स्वेच्छयाइस तरह के भूमि विवादों को सुलझाने के लिए एक प्रयोग शुरु किया।इस प्रयोग के लिए प्रदेश के सबसे दूरस्थ ग्राम बालाबेहट ललितपुर जिले को चुना, इस प्रयोग का नाम उन्होंने भूमि कब्जा समर्पण आन्दोलन (भूकसा) रखा। पूर्व मण्डलायुक्त ने अपने कार्यकाल के दौरान वर्तमान प्रधान और पराजित प्रधान को एक मंच पर लाकर सद्भावना ग्राम योजना की शुरुवात भी की। पूर्व मण्डलायुक्त डॉ.पाण्डेय इस समय भूमि प्रबंध को लेकर बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय से डी.लिट. के विद्यार्थी हैं। सद्भावना ग्राम के उदाहरण से प्रेरित होकर उन्होंने गाँव के भूमि विवाद में उलझे लोगों को भी अन्तरात्मा की आवाज पर सही फैसला लेकर गलत ढंग से कब्जायी गई जमीन को स्वेच्छया छोडऩे के लिए प्रेरित करने का प्रयोग शुरु किया है।सर्वप्रथम इस गाँव के भूमि विवादों की सूची तैयार करायी, प्रधान और पंचायत के सदस्यों व पूर्व प्रधानों के साथ इस भूमि विवादों को समाप्त करने की पहल पर विचार, विमर्श किया। पंचायत से जुड़े सभी लोगों ने पूर्व मण्डलायुक्त को इस दिशा में पहल करने के लिए पूर्ण सहयोग किया।कब्जेदारों और पीडि़त के साथ वर्चुअल संवाद किया। दिनांक 15 नवम्बर 2022 को (भूकसा) की शुरुवात के लिए कब्जा समर्पण हेतु लोगों को आमंत्रित किया गया। आज दिनांक 9 दिसम्बर 2022 तक11 ऐसे कब्जेदारों ने अन्तर आत्मा की आवाज पर कब्जायी गयी जमीन को छोड़ दिया और पीडि़त परिवार को प्रशासन की उपस्थिति में कब्जा प्राप्त हुआ। 15 नवम्बर को आचार्य विनोबा भावे की पुण्यतिथि थी। आचार्य भावे ने अन्तर आत्मा की आवाज पर भूदान आन्दोलन की शुरुवात की थी। इस दिन (भूकसा) की शुरुवात उनके लिए श्रद्धांजलि स्वरुप थी। पूर्व आई0ए0एस0 डा.अजय शंकर पाण्डेय ने कहा कि बुन्देलखण्ड विश्वविधालय से डी0लिट शोधार्थी के रुप में मैंने इस कार्यक्रम की रुप रेखा तैयार की। प्रशासन और ग्रामीणों के प्रयास और सहयोग से इसकी सफल शुरुआत हुई है। ललितपुर के जिलाधिकारी आलोक सिंह का कहना है कि इस पूरे नवाचार भूमि कब्जा समर्पण अभियान पायलट प्रोजेक्ट के रुप में पूर्ण सफल रहा है। इस पूरे नवाचार को जमीनी स्तर पर क्रियान्वित करने वाले पाली के उपजिलाधिकारी का कहना है कि यह प्रयोग एकदम लीक से हटकर है। विवाद में लम्बें समय से उलझे लोगों को समझौतें के रास्ते पर लाना एक कठिन कार्य था। कार्यक्रम की पवित्रता ने हमें सफलता दिलायी।
भूकसा के फायदें
ग्राम प्रधान दौलतराम साहू ने बताया कि पूर्व मण्डलायुक्त की निम्न बातों ने अवैध कब्जेदारों पर काफी बड़ा असर डाला कानूनी लड़ाई से बचा जा सकेगा। समय बरबाद नहीं होगा। पैसे की बरबादी रुकेगी। स्वेच्छा कब्जा छोडने से सम्मान मिलेगा। पड़ोसी के साथ विवाद समाप्त होने पर शांति बनेगी। गाँव में सद्भावना का वातावरण बनेगा। अवैध कब्जों से कानूनी और पुलिस कार्यवाही से निजात मिलेगी।
आखिर बालाबेहट ही क्यों?
सबसे दूरस्थ गाँव है। गाँव की कुल जनसंख्या-7572 है। यहाँ पर अनुसूचित जनजाति सहरिया का बाहुल्य है। इनकी भूमि पर ही अवैध कब्जों की शिकायत है। गाँव में धारा-24, 116, 134, व 104/105 के दर्जनों मामलेविभिन्न न्यायलयों में चल रहे है।