वन क्षेत्रों में रहकर जीवन यापन कर रहे आदिवासियों ने मांगे पट्टे

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अवधनामा संवाददाता

प्रदर्शन करते हुये महामहिम राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन

ललितपुर। जिले में आदिवासी लोगों की जनसंख्या करीब एक लाख के आसपास है और वन भूमि की कई हजार हेक्टेयर में है और आदिवासी वन में रहकर निवास एवं कृषि कार्य कर रहे हैं, उनकी जांच कराकर वन अधिकार के पट्टे दिये जाने की मांग को लेकर सहरिया आदिवासी समुदाय के लोगों ने लामबंद होकर एक ज्ञापन भारत की महामहिम राष्ट्रपति को भेजा है।

ज्ञापन में बताया कि ललितुपर जिले में सहरिया आदिवासियों की संख्या करीब एक लाख है। ललितपुर जिले में वन विभाग की भूमि कई हजार हेक्टेयर में है और हम वनवासी आदिवासी ललितपुर जिले में कई ग्रामों में रहते हैं और वन भूमि पर हमारे पूर्वज सैकड़ों वर्षों से खेती कर अपना जीवन यापन करते हैं और वन विभाग के पेड़ों से जो पैदावार होती है तो उसे बाजार में बेचकर खर्चा चलाते हैं कि भारत सरकार द्वारा वर्ष 2006 में वनाधिकार कानून पास कर दिया है जिसकी सूचना जिले के अधिकारी व कर्मचारियों द्वारा हम आदिवासियों को नहीं दी गयी और न ही मौजा देहा लेखपाल ने किसी ग्राम में वनाधिकार के पट्टों की सूचना दी कि जब वर्ष 2010 में जनप्रतिनिधियों से जानकारी कर हम लोगों ने अपने ग्राम मादौन, कपासी, धौजरी, पिपरई, धौर्रा एवं आस-पास के गांवों में आदिवासियों ने वनाधिकार के तहत प्रार्थना पत्र गांव सभा की वन कमेटी के यहां प्रस्तुत किया और ग्राम वन कमेटी ने प्रस्ताव डालकर हमारे प्रार्थना पत्र तहसील स्तर के वनाधिकार कमेटी को भेज दिये। करीब 12 वर्षो से कोई कार्यवाही नहीं हुई न ही किसी अधिकारी ने अपनी जिम्मेदारी समझी। उल्टे जब मुख्यमंत्री ने संज्ञान लिया तो ग्राम के लेखपाल कानूनगो व तहसीलदार ने वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों ने मिलकर हम गरीब लोगों के वनाधिकार के प्रार्थना पत्रों को अस्वीकृत (निरस्त) कर ग्राम पंचायत भवन पर निरस्त पट्टों की सूची चस्पा कर दी। जिससे हम वनवासियों काफी आहत है। सहरिया आदिवासियों ने ललितपुर जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में जितने आदिवासी भूमि पर कई वर्षों से उईया खेती कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। उन्होंने महामहिम राष्ट्रपति से वनाधिकार 2006 के तहत पट्टे स्वीकृत किये जाने की मांग उठाते हुये शिथिलता बरतने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही किये जाने एवं बिना सुने जो बनाधिकार में पट्टे निरस्त हुये उन्हें फिर से नम्बर पर कायम कर वनाधिकार के पट्टे स्वीकृत किये जाने की मांग उठायी है। इस दौरान आम आदमी पार्टी जिलाध्यक्ष हरदयाल सिंह लोधी, ग्राम पंचायत मादौन प्रधान सुदामा मिश्रा के अलावा रामस्वरूप, गुलाब, गंगाराम, रामरती, नत्थी, मीना, पिपरईबाई, वर्षा, जयराम, प्यारेलाल, दिनेश, दीपक, भैयालाल, रामस्वरूप, चन्दू, मिथुन, सुल्तान, सियाराम, प्रकाश, कुन्दन, कम्मा, देवी, रामकुमार, गोरीबाई, इमरत, दयाराम, फूला, करिश्मा, परसादी पिपरई, उमेश सिंह, मुन्ना, हरी के अलावा ग्राम मादौन, घौजरी, कपासी माताखेरा, हरदारी, धौर्रा, पिपरई आदि गांवों से अनेकों सहरिया आदिवासी शामिल रहे।

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