नई दिल्ली। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के लिए जीडीपी अनुमान जारी कर दिया है। जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए भारत की जीडीपी 6.3 फीसद दर्ज की गई है। आरबीआई ने अपनी पिछली मौद्रिक नीति समिति की बैठक में भी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
एसबीआई ने अपनी रिसर्च में दूसरी तिमाही के लिए भारत की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। ये औसत अनुमानों से 30 आधार अंक कम है। यह कमजोर विनिर्माण गतिविधियों के चलते हुई है।
पिछली तिमाही के मुकाबले गिरावट
आपको बता दें कि देश के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर मौजूदा वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में 13.5 प्रतिशत दर्ज की गई। पिछले साल इसी अवधि के दौरान यह 20.1 फीसद थी। वित्त वर्ष 2021-22 की चौथी तिमाही में देश की जीडीपी में मात्र 4.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। यहां तक कि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए कुल जीडीपी में 8.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। इन दोनों आंकड़ों के लिहाज से देखें तो मौजूदा वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही के आंकड़े सुकून देते हैं।
उम्मीद के मुताबिक रहे आंकड़े?
उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर अर्थशास्त्रियों को उम्मीद थी कि घरेलू खपत में आ रहा सुधार दूसरी तिमाही में भी कायम रहेगा। पहली तिमाही में, जीडीपी के आंकड़ों से पता चला था कि निजी उपभोग खर्च अपने पूर्व-कोविड स्तर से लगभग 10 प्रतिशत अधिक था। कई विश्लेषकों का अनुमान है कि त्योहारी सीजन के कारण दूसरी तिमाही के अंत में घरेलू खर्च में तेजी से वृद्धि हुई है। यात्री यातायात, जीएसटी ई-वे बिल, ईंधन की बिक्री, कार्गो आदि जैसे संकेतक बताते हैं कि लोग खुलकर पैसा खर्च कर रहे है।
रॉयटर्स पोल के मुताबिक, एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत के सितंबर तिमाही तक 6.2 प्रतिशत की दर से वार्षिक वृद्धि दर्ज करने की उम्मीद है। पिछली तिमाही के 13.5 प्रतिशत की विस्फोटक वृद्धि के मुकाबले यह काफी है।