कानपुर विश्व मधुमेह दिवस के अवसर पर कानपुर के अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल मरीजों के लिए एक दिवसीय शुगर चेक ड्राइव्ह का आयोजन किया था। मधुमेही मरीजों की बढती संख्या को देखते हुए बिमारी का समय रहते निदान होना काफी जरूरी हैं। इसे ध्यान में रखते हुए इस कार्य़क्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम के माध्यम से मरीजों को एक सटीक ग्लूकोमीटर की मदद से घर पर अपने शर्करा के स्तर की निगरानी करना सिखाया। मरीजों को अपने स्वास्थ्य के बारे में जागरूक करना इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश था।
विश्व मधुमेह दिवस के अवसर पर अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल ने मरीजों के लिए विनामुल्य रक्तशर्करा जांच शिबिर का आय़ोजन किया था। यह एक संभावित गंभीर समस्या है, क्योंकि मधुमेह के मरीजों को जटिलताओं से बचने के लिए अपने रक्त शर्करा के स्तर की बारीकी से निगरानी करने में सक्षम होना काफी जरूरी हैं। अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल, कानपुर के कन्सल्टंट फिजिशियन डॉ मोहम्मद शाहिद ने रक्त शर्करा के स्तर की स्व-निगरानी के महत्व को समझाया और ग्लूकोमीटर का सही तरीके से कैसे उपयोग करना चाहिए इस बारे में बताया। उन्होंने मधुमेह मरीजों ने नियमित आहार में क्या खाना चाहिए इस बारे में मार्गदर्शन किया। इसके अलावा मरीजों को मधुमेह के लिए आहार, व्यायाम के महत्व, इष्टतम वजन बनाए रखने और मधुमेह पर नजर रखने के लिए तनाव मुक्त रहने के बारे में समझाया।
मधुमेही मरीजों की बढती संख्या को देखते हुए अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल ने यह एक कदम बढाया हैं। अस्पताल ने हाल ही में शुरू किए गए अपने मधुमेह क्लिनिक में एक दिवसीय चीनी जांच अभियान चलाया। रोगियों को सिखाया गया कि एक सटीक ग्लूकोमीटर की मदद से घर पर अपने शर्करा के स्तर की निगरानी कैसे करें।
कानपुर के अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल के कन्सल्टंट फिजिशियन डॉ. मोहम्मद शाहिद ने कहॉं की, “यह एक गंभीर समस्या है क्योंकि मधुमेह, हृदय रोग, स्ट्रोक, गुर्दे की बीमारी और अंधापन सहित कई स्वास्थ्य हो सकती है। एक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में अधिकांश लोगों को मधुमेह के लिए आवश्यक जांच और उपचार नहीं मिल रहा है। यह एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का कारण बना रहा है। मधुमेह से तुरंत निपटने के लिए, अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल ने मधुमेह के लिए एक व्यापक क्लिनिक शुरू करने की शुरुआत की हैं। यह देखा गया कि बहुत से मरीज ग्लूकोमीटर के उद्देश्य की सही पहचान करने में असमर्थ थे। इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि 30% से कम लोग जानते थे कि डिवाइस का सही उपयोग कैसे किया जाए। सही मार्गदर्शन से मरीज अपनी स्थिति में सुधार ला सकता हैं और संभावित गंभीर जटिलताओं से बच सकते हैं।”