रूस के विदेश मंत्री से मिले एस जयशंकर:बोले- यूक्रेन युद्ध हमारे लिए बड़ा मुद्दा, बातचीत के रास्ते पर लौटें दोनों देश

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नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव ने मंगलवार को मास्को में आपसी हितों के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर बातचीत की। विदेश मंत्री सोमवार शाम मास्को पहुंचे। फरवरी में यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद से जयशंकर और लावरोव चार बार मिल चुके हैं। जब से यूक्रेन संघर्ष शुरू हुआ है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ-साथ यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की से कई बार बात की है।
4 अक्टूबर को जेलेंस्की के साथ फोन पर बातचीत में मोदी ने कहा कि कोई सैन्य समाधान नहीं हो सकता और भारत किसी भी शांति प्रयासों में योगदान देने के लिए तैयार है। 16 सितंबर को उज्बेक शहर समरकंद में पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक में मोदी ने उनसे कहा था कि आज का युग युद्ध का नहीं है। भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की निंदा नहीं की है और यह कायम रहा है कि कूटनीति और बातचीत के माध्यम से संकट का समाधान किया जाना चाहिए।
बता दें जयशंकर ने आखिरी बार जुलाई 2021 में रूस का दौरा किया था और जब से यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ है तब से यह उनकी पहली यात्रा है। इससे पहले सोमवार को विदेश मंत्री की यात्रा से पहले, रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि रूस और भारत एक अधिक न्यायसंगत और समान बहुकेंद्रित विश्व व्यवस्था के सक्रिय गठन के लिए खड़े हैं।
विशेष रूप से, भारत ने संघर्ष की शुरुआत के बाद से रूस की निंदा नहीं की है और अपनी स्वतंत्र स्थिति बनाए रखी है। हालांकि, कई संयुक्त राष्ट्र मंचों पर भारत ने लगातार हिंसा को खत्म करने का आह्वान किया है और शांति और कूटनीति से मसले सुलझाने को कहा है।
बाद में एक प्रेस कॉन्फ्रें स में जयशंकर ने कहा कि हमारी बैठक हमारे संबंधों का आकलन करने और वैश्विक परिस्थितियों पर एक दूसरे के नजरिए को समझने के लिए है। हमारी बातचीत में समग्र वैश्विक स्थिति और विशिष्ट क्षेत्रीय चिंताओं पर ध्यान दिया जाएगा। मालूम हो कि कुछ महीनों में, कई पश्चिमी देशों के भारी दबाव के बावजूद भारत ने रूस से सस्ते दाम पर कच्चे तेल का आयात बढ़ाया है। भारतीय विदेश मंत्री ने कहा, ‘जहां तक द्विपक्षीय संबंधों की बात है, हमारा उद्देश्य एक समकालीन, संतुलित, परस्पर लाभकारी और दीर्घकालिक साझेदारी के निर्माण का है।Ó जयशंकर ने कहा कि यूक्रेन युद्ध उनके लिए शीर्ष मुद्दा है। उन्होंने कहा, ‘कोविड, व्यापार संबंधी मुश्किलों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। लेकिन अब हम यूक्रेन युद्ध के परिणामों को इस मामले में शीर्ष पर देख रहे हैं।Ó
रूसी समकक्ष के साथ बैठक में जयशंकर ने कच्चा तेल, कोरोबार समेत कई मुद्दों पर बातचीत की। जयशंकर ने आगे कहा, ‘आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन के हमेशा बने रहने वाले मुद्दे भी हैं जिनका प्रगति तथा समृद्धि पर नकारात्मक असर होता है। भारत, रूस तेजी से बहुध्रुवीय और पुन: संतुलित होती दुनिया में एक दूसरे के साथ साझेदारी कर रहे हैं। हम दो ऐसी सरकारें हैं जिनके बीच अत्यंत स्थायी और समय की कसौटी पर खरे संबंध रहे हैं।
हमने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के टारगेट्स को लेकर भी बात की।अफगानिस्तान सहित अनेक क्षेत्रीय मुद्दों पर भी चर्चा हुई। हमने चर्चा की कि अफगानिस्तान के लोगों के लिए अपना समर्थन कैसे जारी रखें। जयशंकर की रूस यात्रा को जंग खत्म कराने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। फरवरी में यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद से जयशंकर और लावरोव चार बार मिल चुके हैं। हालांकि रूस में ये पहली मुलाकात है।

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