इमरान की लोकप्रियता विकास की ओर

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एस.एन.वर्मा
इमरान को न्यायपालिका ने आरोप लगा गद्दी से बाहर कर दिया है। सेना ने तटस्थ रहने का अभिनय किया और कहा भी हम तटस्थ है। शाहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री बना दिया गया। इमरान प्रधानमंत्री की कुर्सी से तो बाहर हो गये पर राजनीति से बहार नहीं हुये। उनकी मांग पाकिस्तान में आम चुनाव कराने की है। इससे सम्बन्धित वो सरकार के खिलाफ बयान देते रहते है। अन्य मसलो पर भी टिप्पणी करते रहते है। छोटे मोटे अन्दोलन और प्रदर्शन भी करते रहते है। इमरान अपने सही गतिविधियों की वजह से जनता की आवाज बनते जा रहे है और उनकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। चुनाव जल्दी कराने को लेकर लम्बा मार्च इस्लामाबाद तक कर रहे है।
पाकिस्तान को लोगों को इस साल की बाढ़ ने झकझोर दिया। वहां मंहगाई के मार से लोगो याही ़त्रस्त है मुद्रस्फिति काफी ऊंचे दर पर है। उस पर से गरीबी नेे और त्रस्त कर दिया है। खाने पीने की चीजो के दाम आसमान छू रहे है। आम जनता की हालत खराब है। भुखमरी की भी नौबत पहुंच रही है। ऐसे में लोगो को इमरान एक आशा की दीप लग रहे है। इसलिये लोगो में इमरान के प्रति ग्राहयता बढ़ती जा रही है।
पकिस्तान यू तो हमेशा उथल पुथल के बीच ही रहा है। उसे फेल स्टेट भी कहा जाता है। पाकिस्तान के फेल स्टेट बनाने का जिम्मा, पाकिस्तान की न्यायापालिका, सेना और मुल्ला नेताओं नेतागिरी पर है पाकिस्तानी आवाम के विकास में बाधा बने हुये है। इने तीनो का अपसी ताल मेल पाकिस्तान और उसकी जनता को बरबादी की ओर ढकेले जा रहा है। पाकिस्तानी सेना ने जब लादीन का सफाया किया तो इमरान ने सेना की तारीफ की थी। सेना उनसे इतनी खुश हुई कि इमरान को येनकेन प्रकरेण प्रधानमंत्री बनवा दिया। पाकिस्तानी चुनाव में सेना पर्दे के पीछे रह कर खुलकर खेलती है। जिसे चाहती है वही प्रधानमंत्री बनता है।
प्रधानमंत्री बनने के बाद इमरान ने कुछ स्वतन्त्र निर्णय लिये जो सेना को नागवार गुजरा। इमरान सेना के मामलो में दखल देते थे, उसके नितियो को स्वीकार नही करते थे। अमेरिका और सेना के आर्थिक मामलों में दखल दिया। सेना पाक को जो अन्तरराष्ट्रीय मदद मिलती है उस बल पर गुलर्छ्रे उड़ाती है। उस पर किसी तरह की भी आंच वो बरदाश्त नहीं कर पाती है। सुरक्षा और विदेशी मसले अपने पास ही रखती है। अगर कोई राजनैतिक निर्णय उसे लगता है उसके हितों में विरोध में है चाहे जितनी जनता के पक्ष में हो उसे नकार देता है। इमरान ने आईएसआई चीफ की नियुक्ति अपने मन अनुसार करना चाहते थे बजवा के सेवाकाल का विस्तार चाहते थे। इन सब बातों ने सेना को इमरान का विरोधी बना दिया। आप को याद होगा नवाज शरीफ को 2017 में सेना और न्यायपालिका ने मिलकर प्रधानमंत्री के पद से हटा दिया था। क्योेंकि एक तो भारत से अच्छी सम्बन्ध के हिमायती थे अपेक्षाकृत अधिक उदार थे तथा उनकी कुछ बातों गठजोड़ को पसन्द नही आई।
पाकिस्तान गठजोड़ की कुछ वरीयतायें है। जिसमें वे दखलन्दाजी कभी भी बरदाश्त नही करते है। पाकिस्तानी सेना को मालुम है अगर भारत से पाक के सम्बन्ध अच्छे हो जायेगे तो सेना का महत्व वह नही रहेगा जो अभी बना हुआ है। इसीलिये नवाज शरीफ को हटाने में एक वजह यह भी थी कि वह भारत से सम्बन्ध सुधारने की दशा में पहल कर रहे थे।
आईएसआई और सेना चीफ के मामले में कोई राजनैतिक दखलन्दाजी सेना जरा भी बरदाश्त नहीं कर पाती है। पाक आर्मी आतंकवाद को बढाती है और सरक्षण देती है। डर और असन्तुष्टी का अपने पक्ष में दोहन करती है। इसमें मुल्लावादी नेता शामिल है जो यह संगठन चलाते हैं। अगर कोई प्रधानमंत्री इन पर सख्त होता है तो गद्दी के बाहर कर दिया जाता है। हर देश की सेना को लेकर एक योजना होती है। ऐसी किसी योजना में सेना का फायदा हो रहा हो तो कोई नेता अगर विरोध करता है तो उन्हें उसे सेना तत्काल हटा देती है।
कुर्सी से बाहार होने के बाद इमरान निराश नही हुये। भारत की बाज मौकों पर तारीफ करते रहते है। अपने अन्दोलन को बढाने में लगे हुये है। अभी उन्होंने आजादी मार्च की घोषणा की है जिसमें लोगों को लेकर मार्च पर निकलेगे। जनता की आकांक्षाओं को समोने में लगे है। लोगों ने मिलकर एक अलग पार्टी भी बना ली है जो जनता की आकांक्षाओं की नुमाइन्दगी करेगे। जाहिर है इमरान को उनका साथ मिलेगा। जनता में जो असन्तोष कुलबुला रहा है गठजोड चिन्तित है। क्योंकि उन्हें सम्भालना मुशकिल दिख रहा है। इमरान को राजनीति के मैदान से हटाने के लिये न्यायपालिका और सेना तरह तरह के आरोप लगा रही है। उन्हें चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराने की पूरी तैयारी गठजोड़ कर रहा है। कम से कम पांच साल के लिये उन्हें अयोग्य घोषित करना चाहते है। इमरान की तत्काल चुनाव कराने की मांग स्वीकर करने से सरकार और गठजोड़ इसलिये डर रहा है कि कही अगर जनता इमरान के साथ हो गई तो शाहबाज शरीफ और गठजोड़ को खतरा पैदा हो जायेगा। दिन ब दिन इमरान की बढ़ती लोक प्रियता से ये लोग परेशान है। इमरान के साथ कोई अप्रत्यशित घटना हो जाये तो ताज्जुब नही होेगा। क्योंकि जनता की सहमति से अगर इमरान चुनाव जीत गये तो गठजोड का स्तीत्व खतरे में आ जायेगा। उन्हें नियमानुसार चलना होगा जो उनकी मौज मस्ती खत्म और वर्चस्व को खत्म कर देगा।
चुनाव जल्दी कराने को लेकर इमरान लाहौर से इस्लामाबाद लोगों के साथ मार्च कर रहे है। पर शासन परेशान है। टेलीकास्ट पर रोक लगा दी है। भारी सुरक्षा फोर्स मार्च रोकने के लिये लगाया गया है। जनता का सैलाब बढ़ता जा रहा है। इमरान ने इस आजादी का मार्च कहा है।

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