अवधनामा संवाददाता
सोनभद्र/ब्यूरो। चुर्क पुलिस लाइन में रविवार को दूसरे दिन प्रातः 7:00 बजे से तीन दिवसीय हार्टफुलनेस कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में 84 पुलिस के अधिकारियों एवं पुलिसकर्मियों को हार्टफुलनेस नवीनीकरण अथवा शुद्धिकरण एवं ध्यान कराया गया।
सत्र की शुरुआत भाई गोपाल जी द्वारा किया गया। जिन्होंने जिज्ञासुओं को बताया कि हमारा एक आंतरिक संसार भी है जो हमारे विचारों एवं भावनाओं, पसंद एवं नापसंद तथा आकर्षण और विकर्षण से भरा हुआ है। यह हमारे हृदय पर एक बोझ के समान है। जिसके कारण हम सायं कालीन अपने भीतर भारीपन महसूस करते हैं। विचार कर्म का निर्माण करते हैं, कर्म आदतों का निर्माण करते हैं, आदतों से हमारा चरित्र बनता है तथा जैसा चरित्र होता है वैसी हमारी नियति होती है। हम अपने भीतर के विचारों और भावनाओं से ही नियंत्रित होते हैं। जब हम कुछ गलत करने जाते हैं तो अंदर से एक आवाज हमें गलत करने से रोकती है यही आवाज हमारे हृदय की आवाज है। हम जब कुछ सोचते हैं या कोई कर्म करते हैं तो उसकी छापें हमारे अवचेतन मन में जमने लगती हैं और वे चेतना और आत्मा के बीच स्पंदनों की एक परत बना लेती हैं। छापें आत्मा को तो नहीं छू सकती लेकिन इसके चारों ओर एक परत बना लेती है। जो हमारी स्पष्ट सोच और समझ को प्रभावित करती हैं। हम चीजों को उनके वास्तविक रूप में नहीं देख पाते। यदि हम शाम को भी सुबह जैसी अपने भीतर ताजगी या शुद्धीकरण या नवीनीकरण चाहते हैं तो इस हार्टफूलनेस सफाई का अभ्यास कर सकते और स्वयं को सरल एवं शुद्ध बना सकते।
भाई गोपाल जी द्वारा ही हार्टफूलनेस सफाई की प्रक्रिया का अनुभव कराया गया। इसके बाद हार्टफुलनेस प्रशिक्षक भाई राजकुमार जी एवं भाई रवि जी द्वारा योगिक ट्रांसमिशन के साथ सभी को ध्यान कराया गया।
भाई ज्ञानेंद्र जी द्वारा ब्राइटर माइंड्स के प्रस्तुतीकरण के लिए शाश्वत श्रीवास्तव को स्टेज पर बुलाया गया । उन्होंने बताया कि 8 से 15 वर्ष तक के बच्चे इस कोर्स को कर सकते हैं। 35 वर्ष से ऊपर के व्यक्तियों के लिए ब्राइटर माइंड अल्फा प्लस का कोर्स है किसके करने से हमारा लेफ्ट ब्रेन सक्रिय हो जाता है अन्यथा निष्क्रिय रह जाता है। जिसके कारण हमारे अंदर भुलक्कड़पन उत्पन्न हो जाता है।
सत्र के दौरान हार्टफुलनेस संस्था के वॉलिंटियर भाई अशोक कुमार जी ,भाई संजीव जी , भाई मदन मोहन जी ने सक्रिय रूप से कार्यक्रम के आयोजन में योगदान दिया । कार्यक्रम के अंत में अगले दिन तृतीय सत्र के लिए सभी को आमंत्रित किया गया तथा धन्यवाद दिया गया।
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