पडरौना में मुलायम को मिली थी चुनौती, प्रत्याशी ने मंच पर दे दिया निर्दल चुनाव जीतने का चैलेंज

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अवधनामा संवाददाता (शकील अहमद)

कुशीनगर। पूर्व रक्षामंत्री, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को पडरौना में उनके ही मंच पर एक नेता ने चुनौती दी थी। सपा पडरौना लोकसभा सीट (अब कुशीनगर) से टिकट की घोषणा न होने पर एक दावेदार के लिए लोगों ने मुलायम सिंह के सामने ही निर्दल चुनाव लड़ाने का ऐलान कर दिया। अपने प्रत्याशी के पक्ष के नेताजी के मंच के सामने ही गमछा बिछाकर चंदा बटोरने लगे।
वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव की है। सपा के तत्कालीन मुखिया मुलायम सिंह यादव पडरौना में जनसभा को संबोधित करने पहुंचे थे। इसी सभा में पडरौना लोकसभा क्षेत्र से सपा उम्मीदवार के नाम की घोषणा होने वाली थी। जिले के कद्दावर, मुलायम के करीब माने जाने वाले नेता बालेश्वर यादव को पूरा यकीन था कि सपा मुखिया उनको ही टिकट देंगे, लेकिन बाद में मंच पर पहुंचकर मुलायम सिंह ने किसी अन्य को प्रत्याशी घोषित कर दिया। बस, इसी के बाद हंगामा शुरू हो गया। लोग मुलायम सिंह यादव के सामने ही अपने बालेश्वर यादव के पक्ष में नारेबाजी करने लगे।
तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के करीबियों में बालेश्वर यादव का नाम शुमार रहा है। वर्ष 2004 में वह लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुके थे। उनको और उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि नेताजी अपनी सभा में उनके नाम की घोषणा करेंगे। लेकिन सपा मुखिया ने किसी अन्य को टिकट देकर इसे अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया। उधर बालेश्वर भी अपनी जिद पर अड़ गए। स्थानीय जनता ने उनको भरपूर समर्थन दिया। लोगों ने उनको सिक्कों से तौलकर चुनाव लड़ने के लिए चंदा दिया। जनता के आशीर्वाद से बालेश्वर यादव निर्दल ही लोकसभा चुनाव जीत गए।
इस प्रकार रहा जीत का आंकड़ा
चुनाव का रिजल्ट आने पर बालेश्वर यादव को 206850 कुल वोट मिले, उनके प्रतिद्वंदी कांग्रेस के प्रत्याशी पूर्व गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह दूसरे, सपा के प्रत्याशी पांचवें स्थान पर रहे। तत्कालीन सपा प्रत्याशी रामअवध यादव को महज 66551 मत मिल सके। बसपा के प्रत्याशी नथुनी प्रसाद कुशवाहा को 168869, भाजपा के प्रत्याशी चार बार सांसद रहे रामनगीना मिश्र को 115969 मत मिल पाए थे।
पहले कांग्रेस में हुए शामिल, 2009 में टिकट न मिलने पर फिर सपा किये वापसी
निर्दल चुनाव जीतने के बाद बालेश्वर यादव बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए। वर्ष 2009 कांग्रेस ने उनको देवरिया लोकसभा सीट से टिकट दिया, लेकिन वह चुनाव नहीं जीत पाए। इसके बाद बालेश्वर ने सपा में वापसी कर ली। लोकदल से राजनीति की शुरूआत करने वाले बालेश्वर यादव वर्ष 1985 में पडरौना से विधायक रह चुके हैं।वह 1989 में जनता दल से पडरौना लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीते थे। दो बार विधायक और दो बार सांसद रहे बालेश्वर यादव सपा के साथ स्थापना काल से जुड़े हुए हैं। पूर्वांचल में बालेश्वर यादव मुलायम के सबसे करीबी रहे हैं। तत्कालीन मुलायम सिंह की सरकार में बालेश्वर को लोग मिनी मुख्यमंत्री के नाम से संबोधित करते थे। कुशीनगर को जिला बनवाने में बालेश्वर की अहम भूमिका रही है। लोगों का कहना है कि नाराज होकर पार्टी छोड़ने के बाद भी बालेश्वर की वापसी पर मुलायम ने अपना रिश्ता निभाया। वह अपने कार्यकर्ताओं को पूरा सम्मान देते थे।
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