अवधनामा संवाददाता
ललितपुर। वन विभाग के कर्मचारियों पर फिर एक बार आदिवासी समुदाय के लोगों को प्रताडि़त करते हुये खेती न करने देने का आरोप लगाते हुये कार्यवाही की मांग उठायी गयी है। इस सम्बन्ध में तहसील तालबेहट के ग्राम राजपुर, कोटरा, वादीवर इत्यादि ग्रामीण अंचलों से आये अनुसूचित जाति के लोगों ने लामबंद होकर जिलाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में बताया कि यहां रहने वाले लोगों के पास जीवन-यापन हेतु मजदूरी का कार्य है। अब हर ग्राम पंचायत व सरकारी कार्य ठेकेदारी व मशीनरी द्वारा किया जा रहा है, जिससे हम लोगों को मजदूरी का कार्य नहीं मिल पा रहा है। मनरेगा में प्रधान अपने चहेते लोगों को मजदूरी पर रख लेते हैं। हम सभी आदिवासियों को मजदूरी का कार्य नहीं मिल पाता है। ऐसी स्थिति में जीवन-यापन हेतु हम सभी आदिवासी लोग अपने पूर्वजों द्वारा की गयी, डईया खेती पर खेती कर अपने बच्चों व परिवार का भरण-पोषण कर के रहे हैं। बताया कि ग्राम राजपुर कोटरा व वादीवर में माता-टीला बांध क भराव क्षेत्र की भूमि है और वहां पर किसी भी प्रकार से वन विभाग की भूमि नहीं है। वहां भी भूमि है वह भूमि हम आदिवासियों के पूर्वजों के समय की ड़ईया खेती है जो पत्थर एवं ककरीली है। भूमि को हमारे पूर्वजों द्वारा मेहनत मजदूरी करके कृषि योग्य बनाया है और वर्तमान में मौके पर खेती कर रहे हैं। बताया कि उनके कब्जे की खेती वाली भूमि पर 07 अक्टूबर 2022 को समय करीब दिन में 12 बजे वन विभाग के कर्मचारी व अधिकारी हमारे गाँव राजपुर में आये और हमारी बईया खेती वाले खेतों पर वन विभाग के कर्मचारी आये उन्होंने एक राय होकर आये और हम लोगों से बोले कि तुम लोग इस जमीन पर अब खेती नहीं कर सकते हो, यह जमीन वन विभाग की है। बताया कि जब लोगों ने कहा कि यह जमीन हमारी उईया खेती की है व 100 साल से हमारे दादा परदादाओं के बाद हम लोग खेती करते चले आ रहे हैं तो बोले कि अब तुम लोग खेती नहीं कर सकते हो और अगर खेती करोगे तो तुम्हारे खिलाफ मुकद्दमा लिखा जायेगा। जब वन विभाग द्वारा हम लोगों के खिलाफ कई मुकदमा लिखवा दिये जो न्यायालय सी.जे.एम. ललितपुर में चल रहे हैं, जब एक घटना की एक रिपोर्ट लिखी जायेगी तो एक जमीन में एक घटना की कई रिपोर्ट वन विभाग द्वारा लिखकर हम आदिवासियों का उत्पीडऩ किया जा रहा है। बताया कि वन विभाग के वाचर हमारे आस-पास के ग्रामों के हैं इसलिए हम गरीब आदिवासियों को हमेशा परेशान करते हैं तत्काल वन विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही की जाय एवं हम आदिवासियों का उत्पीडऩ बन्द कर हम लोगों को अपनी डईया खेती पर खेती करने से नहीं रोका जाय। ज्ञापन देते समय ऊदल, प्रभू, बाबू, माते, पुनुआ, जगभान, बबलू, काशीराम, सुखलाल, हरचरन, अन्नू, हरभान के अलावा अनेकों लोग मौजूद रहे।