प्रकृति की जिस व्यवस्था में हम जी रहे हैं उसी को हानि पहुंचा रहे हैं – डॉ वी के सचान

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अवधनामा संवाददाता

बोदरवार, कुशीनगर। हमें आज कसम खाना है कि प्रकृति की व्यवस्था में ऐसा कोई काम नहीं करुंगा जिससे प्रकृति का नुक़सान होता हो। लेकिन मानव फितरत है कि प्रकृति की जिस व्यवस्था में हम जी रहे हैं उसी को हानि पहुंचा रहे हैं। अपनी लालच के लिए जाने अंजाने में जो गलतियां किए हैं उसमें पुनः सुधारकर सुखमय जीवन जीने की विधा ही प्राकृतिक खेती है।
उक्त बातें मंगलवार को नावार्ड द्वारा प्रायोजित काला नमक धान की प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण शिविर में बतौर मुख्य वक्ता डॉ वीके सचान उप कृषि निदेशक शोध अलीगढ़ ने कहा। ज्ञानोदय इंटर कालेज मंसूरगंज के प्रांगण में आयोजित प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण शिविर में असिस्टेंट जनरल मैनेजर नावार्ड संचित सिंह,एलडीएम कुशीनगर सुनील त्यागी, जिला कृषि अधिकारी/भूमि संरक्षण अधिकारी बाबू राम मौर्य, असिस्टेंट प्रोफेसर वनस्पति विज्ञान गोरखपुर विश्वविद्यालय डॉ सुनीता, उपकृषि निदेशक कुशीनगर डॉ आशीष कुमार, विषय वस्तु विशेषज्ञ उमा रमन पांडेय ने प्रतिभाग किया। डॉ सचान ने प्राकृतिक खेती को आध्यात्म और प्रकृति से जोड़ कर किसानों को अभिभूत कर दिया। उन्होंने कहा कि प्रकृति के साथ प्रस्पर्ता में जीना ही प्राकृतिक खेती है। भूमि और फसलों का सही सामंजस्य ही कृषि है। आज से साठ वर्ष पहले की खेती प्राकृतिक खेती थी। जिसमें गौवंश आधारित जीवामृत और सूक्ष्म पोषक तत्व मिलें रहते थे जिससे भूमि में ह्यूमस की मात्रा संतुलित रहता था। उन्होंने रसायन प्रयोग के दुष्प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए किसानों से कहा कि दवा लेकर सरसों पर बैठे हुए माहों को मारने गया लेकिन माहों मरा या नहीं मरा परंतु हमें शहद देने वाली मधुमक्खी जरुर मर गई।डीडी एग्रीकल्चर आशीष कुमार ने कहा कि प्राकृतिक खेती में अगर हम चरणबद्ध तरीके से आयेंगे तो नुक़सान नहीं होगा। रसायन के प्रयोग से भूमि का कार्बन बहुत कम हो गया है इसे प्राकृतिक खेती के माध्यम से बढ़ानी होगी। डीडीएम नाबार्ड ने संचित ने कहा कि प्राकृतिक खेती के लिए नाबार्ड किसानों को हर संभव मदद करेगा। किसानों को किसान उत्पादक संगठन से जुड़ना चाहिए। कर्मयोगी परिवार फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के सीएमडी विद्या सिंह ने कहा कि हम डेढ़ सौ एकड़ जमीन पर किसानों से रसायन मुक्त खेती करा रहे हैं। शिविर का आयोजन पीडीएफ के निदेशक डॉ रामचेत चौधरी ने किया। डॉ चौधरी ने आये हुए अतिथियों और किसानों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कि हम अपनी संस्था के माध्यम से काला नमक किरण धान की प्राकृतिक खेती सौ किसानों के द्वारा सौ एकड़ में करा रहा हूं। जिसमें गौवंश आधारित जीवामृत डाला जाता है। इस अवसर पर रवीन्द्र कुमार गोंड, अंजलि साहनी, अंशुमान उपाध्याय, धनंजय पटेल, आदित्य पटेल, संजय राजभर सहित सैंकड़ों किसान मौजूद रहे।
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