हसन कमाल व राजेश जोशी को मिला कैफी अवार्ड

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हसन कमाल व राजेश जोशी को मिला कैफी अवार्ड
कैफी प्यार व मोहब्बत के आदमी थे: सत्थ्यू
हसन कमाल बुनियादी तौर पर शायर: प्रो.शारिब रुदौलवी
सैयद निजाम अली
लखनऊ।मशहूर शायर, पत्रकार व गीतकार हसन कमाल व क्रांतिकारी कवि व इप्टा के संस्थापकों में से एक राजेश  जोशी को आज यहां आल इंडिया कैफी आजमी अकादमी में कैफी अवार्ड से नवाजा गया और दोनों को एक-एक लाख का चेक, स्मृति चिन्ह, तामपत्र के साथ एक-एक दोशाला भेंट किया गया। इस अवसर पर मशहूर रंगकर्मी व मुख्य अतिथि एमएस सत्थ्यू ने कहा कि कैफी प्यार मोहब्बत के आदमी थेे वह हर दिल में बस जाते हैं। जबकि समारोह की अध्यक्षता कर रहे झारखंड के पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी ने कहा कि कैफी आजमी हिंदी के भी थे वह उूर्द के भी क्योंकि वह हिंदुस्तानी थे।
कैफी अकादमी के अध्यक्ष प्रो.शारिब रूदौलवी ने शुरु में अवार्ड पाने वाली दोनों हस्तियों हसन कमाल व मोहन जोशी के साथ ही सैयद सिब्ते रजी तथा एमएस सत्थ्यू का संक्षिप्त परिचय देते हुए कहा कि हसन कमाल बुनियादी तौर पर शायर है
पत्रकारिकता उनका पेशा है। जबकि सत्थ्यू ने ड्रामें में नये प्रयोग किये हैं। उन्होंने कहा कि कैफी आजमी बेहतरीन शायर थे लेकिन उनको तीन दौर में रखा जा सकता है पहला दौर रूमानियत का तो दूसरा इंक्लाबी दौर था।
हसन कमाल ने कहा कि आज का दिन मेरे लिए कई खुशियां लेकर आया आज मुझे कैफी अवार्ड से कैफी अकादमी में दिया गया। यह अवार्ड इस शायर के नाम  पर दिया गया जिनके शेर सुनकर व पढ़कर मुझे शेर कहने का ख्याल आया। कहा कि जितने लोग यहां स्टेज पर बैठे है उन सबसे मैं बहुत प्रभावित रहा।  राजेश जोशी ने  जुल्म के खिलाफ आवाज उठायी। सैयद सिब्त रजी से भले मैं उनसे कुछ दूर रहा लेकिन जहनी तौर पर वह मेरे बहुत करीब रहे। कहा कि प्रो.शारिब रूदौलवी मेरे उस्ताद है। अगर यह लोग न होते तो मेरी जिंदगी नामुकम्मल होती। हसन कमाल ने कहा कि तरक्क ी पसंद तहरीक में एक साथ इतने शायर व अदीब निकले जितनी दुनिया की किसी भी तहरीक में एक साथ न  पहले निकले थे और न बाद में।प्रेमचंद, कैफी आजमी, अली सरदार जाफरी, सज्जाद जहीर,   मजाज, साहिर लुधियानवी, जा निसार अख्तर इन सभी ने गालिब, मोमिन, मीर की उर्दू को बचाये रखा।
कैैफी अवार्ड पाने वाले दूसरे शख्स राज्ेश जोशी ने कहा कि कैफी नेे हमेशा धर्म व जाति की नफरत का विरोध किया। वह हमारे दिलों में है। कैफी ने ६ दिसंबर १९९२ को बाबरी मस्जिद की शहादत पर एक बेहतरीन नज्म कही थी। कहा कि हमारा देश आज सांस्कृति रुप से दिवालिया होता जा रहा है। मोहन जोशी ने कहा कि मेरी कैफी आजमी से पहली मुलाकात ७० के दशक में नयी दिल्ली में हुई थी। वह इप्टा को दोबारा संगठित करना चाह रहे थे और मैं मध्य प्रदेश इप्टा का अध्यक्ष था। उनके बहुत कुछ सीखने का मौका मिला।
मुख्य अतिथि एमएस सत्थ्यू ने कहा कि कैफी आजमी के साथ मेरा ५0-६० साल का साथ  रहा उनसे काफी कुछ सीखा भी। एमएस सत्थ्यू ने जिन्होंने कैफी थियेटर बनाया कहा कि यह सिर्फ इमारत नहीं है बल्कि इसमें कलाकार व दर्शक के बीच कोई अंतर नहीं है। कलाकार व दर्शकके बीच जितना फासला कम होता है उतना अच्छा होोता है। यह देश के चंद थियेटरों में से एक है ऐसा ही पृथ्वी थियेटर  व टाटा थियेटर । इससे  नाटक लिखने वाले व करने वाला का नजरिया बदल जाता है। थियेटर में देखने वाला प्रजातांत्रिक तरीका
होता है। कहा कि थियेटर के लिए तकनीशियन,ट्रस्टी व स्पांसर होने चाहिए। पृथ्वी थियेटर में हफ्ते में आठ शो होते है। सोमवार को कोई शो नहीं होता लेकिन शनिवार व रविवार को दो-दो शो होते है। इसी तरह बंगलौर मे ंहोता है वहां तो आकांक्ष थियेटर में समय का
बहुत पालन होता है। अगर दूसरी घंटी के बाद कोई दर्शक आता है तो टिक्ट होने के बावजूद उसकी इंट्री नहीं होती।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे सैयद सिब्ते रजी ने कहा कि हिंदुस्तान की गंगा-जमुनी की तहजीब कुदरत का फैसला है, इसको कोई मिटा नहीं सकता। प्रगतिशील कभी मरता नहीं वह जमाने की आवाज है। कहा कि जब उर्दू अपने खराब दौर से गुजर रही थी तो इन शायरों ने फिल्मों में बेहतरीन गीत लिखकर उर्दू को बचाये रखा। एमएस मैत्थ्यू ने फिल्म गर्म हवा के जरिये एक बेहतरीन संदेश दिया। उन्होंने कहा कि विलायत जाफरी ने देश में पहली बार बढ़ते क दम का मंचन करके एक नयी पहल शुरु की।
कैफी आदमी के महासचिव सैयद सईद मेंहदी ने कहा कि कैफी आजमी के गांव में पहला स्कूल सैयद सिब्ते रजी ने शिक्षा मंत्री के रुप में खुलवाया था। राजेश जोशी नफरत के खिलाफ मोहब्बत का पैगाम देते हैं। कैफी आजमी एक शायर ही नहीं बल्कि तहरीक थे।  अकादमी का उदेश्य  इस तहरीक को आगे बढऩा है। अकादमी के संरक्षक व मशहूर रंगकर्मी विलायत जाफरी ने सभी का शुक्रिया अदा किया। कार्यक्रम का संचालन फ रुख नदीम ने बेहतरीन अंदाज में किया है।
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