अवधनामा संवाददाता
आजमगढ़। महाराजा सुहेल देव राज्य विश्वविद्यालय के तत्वावधान में मनाए जा रहे सेवा पखवाड़ा के अंतर्गतसोमवार को नवरात्रि के प्रथम दिन विविधता में एकता कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय के शिविर कार्यालय डीएवी महाविद्यालय में समारोहपूर्वक संपन्न हुआ।
मुख्य अतिथि के रूप में दीप प्रज्ज्वलित कर कुलपति प्रो0 प्रदीप कुमार शर्मा ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इसके बाद सनातन धर्म संस्कृत विद्यालय के आचार्यो ने मंगलाचरण का पाठ कर विश्व शांति एवं मानव कल्याण की कामना की। छात्रा ममता यादव डीएवी कालेज ने सरस्वती वन्दना कर मां सरस्वती से भारत भारती के उत्थान की कामना की।भारत की विविधता में एकता की संस्कृति को प्रदर्शित करते हुए कलाकारों और छात्र छात्राओं द्वारा मराठी,पंजाबी,हरियाणवीं,कश्मीरी,गुजराती, राजस्थानी,बंगाली,भोजपुरी लोक नृत्य एवं वेशभूषा का प्रस्तुतीकरण कर भारत के विभिन्न विविध हिस्सो के संस्कृति की झांकी प्रस्तुत की। छात्र छात्राओं ने देशभक्ति गीत, कोरोना त्रासदी और स्वच्छ भारत पर मनमोहक नाटक भी प्रस्तुत किए। प्रोफेसर जगदंबा प्रसाद दुबे द्वारा हिन्दी एवं प्रोफेसर शिल्पा त्रिपाठी द्वारा अंग्रेजी एवं संस्कृत भाषा में डा.चन्द्कान्त दत्त शुक्ल द्वारा व्याख्यान प्रस्तुत कर भारत के भाषायी विविधता की झलक दिखलाई।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुये भारतीय मनीषा के अनोखेपन का उल्लेख करते हुये विविधताओं से भरे देश के ऐक्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिन्द देश के निवासी सभी जन एक हैं, रंग रूप भाषा धर्म चाहे अनेक हैं भारत की यह सदियों से विशिष्टता रही हैं कि विविधता में एकता का सामंजस्यपूर्ण प्रदर्शन करते हुए इसने विश्व को यह सिखाया है कि अपने विभिन्नताओं को समेट कर कैसे हम एक आर्केस्ट्रा के विभिन्न वाद्य यंत्रों की तरह अलग अलग स्वरों को मिलाकर एक सुमधुर संगीत की रचना कर सकते हैं।एकता का यही संगीत भारत को विश्व गुरु का दर्जा दिलाता है। कुलपति प्रोफेसर प्रदीप कुमार शर्मा ने विविधता में एकता को भारतीय संस्कृति एवं विकास का आधार बताया। उन्होंने कहा कि विविधता ही जीवन का आधार है और हमारा देश भौगौलिक,सामाजिक,जैवीय वानस्पतिक व प्राणिय, पर्यावरण पर्यावरणीय, आर्थिक, औघोगिक, तकनीकी सभी प्रकार की विविधता से समृद्ध एवं ओतप्रोत है, इस विविधता के कारण ही भारत वसुधैव कुटुंबंकम एवं सर्वे भवन्तु सुखिन की संस्कृति एवं भाव से ओतप्रोत है और भारत के यही सिद्धांत और संस्कृति भारत को विश्व गुरु बनाने के आधार हैं। उन्होंने कहा कि विविधता में एकता कि भारत की संस्कृति महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय आजमगढ़ की क्रियाकलापों मैं भी विद्यमान होगी। सम्मिलित सभी छात्र छात्राओं को कुलपति ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया व उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं की।