आईपीओ के विरोध में ग्रामीण बैंक कर्मियों ने बांधा काला फीता

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अवधनामा संवाददाता

आजमगढ़। बड़ोदा यूपी बैंक कर्मियों ने पूंजी बाजार में ग्रामीण बैंकों के प्रवेश करने के लिए भारत सरकार के निर्देश के विरुद्ध शुक्रवार को काला फीता बांध कर कार्य किया। बैंक के निजीकरण के प्रयास के तौर पर आईपीओ को देखते हुए इसका विरोध किया।
बड़ौदा यूपी बैंक एसोसिएशन के महामंत्री सुभाष चंद्र तिवारी कुंदन और सहायक मंत्री अनुज कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार अगर ग्रामीण बैंक का आईपीओ जारी करने का निर्देश वापस नहीं लेती है तो शीत कालीन सत्र में संसद का घेराव किया जायगा। कहा कि ग्रामीण बैंक की स्थापना ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे किसानों, खेतिहर, मजदूरों और कारीगरों को सस्ते ब्याज पर ऋण और अन्य सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया था। पांच दशक के दौरान ग्रामीण बैंकों ने आम लोगो में बैंक की छबि प्राप्त कर ली है। इसकी कुल शाखाऐ देशभर में 21892 है। जिसका 92 फीसद ग्रामीण और अर्द्ध शहरी क्षेत्र में कार्यरत है। ग्रामीण बैंक द्वारा अपने कुल ऋण का 90 फीसद प्राथमिकता वाले क्षेत्र अर्थात लघु व सीमान्त किसान, छोटे कारोबारी व दस्तकारों को सस्ते ब्याज दर पर दिए हैं। परन्तु अब ज्यादा पूंजी बाजार से जुटाने के उद्देश्य से ग्रामीण बैंक कानून 1976 को संशोधित किया गया है,जिसके तहत ग्रामीण बैंक का आईपीओ जारी करने के सरकारी प्रयास को बैंक कर्मी बैंक के निजीकरण की प्रारंभिक प्रक्रिया के रूप में देख रहे हैं, जिसका कुप्रभाव उनके सेवाशर्त तथा गरीब ग्रामीण जनता के सस्ते दर पर ऋण मुहैया कराने पर भी पड़ सकता है। बताया कि निजीकरण के बाद बैंक का उद्देश्य सामाजिक उत्थान और वेलफेयर के बजाय अधिक से अधिक मुनाफा अर्जित करना हो जाएगा।

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