एस.एन.वर्मा
मो.7084669136
देश का अजब हाल है जहां देखिये सुनिये भ्रष्टाचार का तान्डव हो रहा है। जहां भी हाथ डालिये कालिख निकलती है। बनारस के दशमेघ छाट जहां मुर्दे जलाये जाते है, जहां की आग कभी नही बुझती वहा के कर्मचारी होली पर या वैसे भी मसान के राख की होली खेलते है और लाशों के ढेर के सामने नाचते गाते है। उनकी धारणा है मृत्यु तो उनकी जीविक है। सार एशोआराम उसी से है। उसी से मिलता जुलता हाल ं भ्रष्टाचारियों का है। जहां भी हाथ डालो भ्रष्टाचार की कालिख मिलती है। देश भ्रष्टाचार की हालत पर विसूरता है पर भ्रष्टाचारी खुशियां मनाते है विदेश जाते है, अपनी प्रेमिका ले लिये अति मूल्यवान हर तरह के उपहार देते है, तथा कथित महिला मित्र के साथ पिकनिक और रंगरेलिया मनाते है। जब तक पकड़ में नहीं आते चिकने चुपड़े बने रहते है पर जैसे ही भ्रष्टाचार का पता लगाने के लिये छापे पड़ते है, होश उड़ जाते हैं राजनीतिकरण करने लगते है। भ्रष्टाचारियों का समूह सरकार पर आरोप लगाते है कि उन्हें डराने और तोड़ने के लिये करवाया जा रहा है। विदेश भागने की जुगत करने लगते है। इमानदार आम नागरिक देश में भ्रष्टाचार का फैलाव देख आंसू बहाते है पर भ्रष्टाचारी समूह हालात के बेहतर बताते है। लुके छिपे राजनैतिक मान्यता प्राप्त गैरमान्यता प्राप्त दलों को चन्दा देने लगते है। एनजीओ की मदद करने लगते है इनकम टैक्स में छूट पाने के लिये। वास्तव में जितना देते है उससे ज्यादा बताते है। कालेधन को सफेद करने का यह पुराना धन्धा है।
चुनाव अधिकारियों की रिपोर्ट पर चुनाव आयोग ने पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों और उनसे जुड़ी संस्थाओं, प्रतिष्ठानों उनके कार्यकर्त्ताओं पर आयकर के अप्रत्याशित ताबड़तोड़ छापे, चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार है। चुनाव आयोग कबसे कहाता आ रहा है। सरकार के प्रयासों को इसी सन्दर्भ में देखा जाना चाहिये। आयोग के पास छापे का अधिकार तो है नहीं वह सुझाव दे सकता हैं। सरकार को प्रेरित कर सकता है। ऐसे कामो में सरकार सहमति अवश्य होगी क्योंकि यह राजनीति से जुड़ा हुआ है। वैसे आयकर विभाग अपने श्रोतो से पता लगा कर छापे डाल सकती है। कुछ केसो में सरकार से अनुमति भी ले सकती है।
राजनीतिक दल होने का फायदा उठाकर मन्त्रियों, कारोबारियों, बड़ी हस्तियों के यहां छापे पड़े। उद्देश है पता लगाना चन्दा के श्रोत का टैक्स में अनियमितताओं का कुछ दलों ने कोष सम्बन्धी जनकारी नही दी है, चन्दा देने वालों के पते नही बताये है, पदाधिकारियों के नाम नहीं बताये हैं।
इतना ही नही भौतिक सत्यापन में पाया गया काई पंजीकृत मान्यता प्राप्त राजनैतिक दल बने भी नही है। कुछ मान्यता प्राप्त दलों का अस्तित्व ही नहीं है। जब राजनैतिक दल अस्तित्व में है ही नहीं तो उनको भेजी गई चिट्ठियां वापस आयेगी और यही हुआ है। इस परिप्रेक्ष के चुनाव आयोग ने 198 गैर मान्यता प्राप्त दलो के नाम अपनी सूची से काट दिया। 2100 या इससे ज्यादा पंजीकृत गैरमान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के खिलाफ कारवाई करने जा रही है लगातार चुनाव सम्बन्धित कानूनो नियमों को नज़रन्दाज कर रहे है।
इसी तारतम्य में राजस्थान के राज्यगृह मंत्री राजेन्द्र यादव के यहां आयकर विभाग का छापा डाला गया। यूपी के सुल्तानपुर जिला में अपना देश पार्टी को तीन सालों में दान के रूप में सैकड़ों करोड़ रूपये मिले पर लेखा जोखा का पता नहीं है।
दिल्ली थिंक टैंक पर काम करने वाली एक संस्था है जिसका नाम है थिंक टैंक सेन्टर फार पालसी रिसर्च यह गैर राजनैतिक स्वतन्त्र और अनुसन्धान की दिशा में काम करती है। इसका बडा नाम है कि यह बहुत समर्पित संस्था है।
जैसी की परम्परा है विपक्ष में रहने वाली पार्टी या गठजोड़़ वाले हमेशा की तरह इस तरह की कार्यवाई को राजनीति से प्रेरित बताते हैं। अभी भी ऐसा ही हो रहा है। ऐसे भी दल है जो सड़क पर कभी नहीं निकले जनता से सम्बन्धित मसलों को लेकर। पर उनके मुखिया पर छापे पड़े तो सड़क पर उतर आये पार्टी के सदस्यों के लेकर और छापों पर गलत आरोप लगाने लगे। शुद्धता लाने के लिये सोना को तपाया जाता है। राजनैतिक पार्टियों में शुद्धता लाने के लिये छापे की भट्ठी कारगर होगी नही पूरा तो कुछ सुधार तो होकर ही रहेगा। चुनाव आयोग इसी तरह सक्रिय रहे पार्टियों की शुद्धता के लिये छापे वाली संस्थाये और सरकार आयोग को मदद देती रहे। भारत से भ्रष्टाचार मिट जाये तो फिर सचमुच वह सोने की चीड़िया बन जाये।