लोरपुर की मशहूर इमामे अस्र महफिल संपन्न

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लोरपुर की मशहूर इमामे अस्र महफिल संपन्न
अम्बेडकरनगर-  लोरपुर की मशहूर इमामे अस्र महफिल संपन्न महफिल की शुरुआत कुराने पाक की तिलावत से हुई जिसे शाहबाज खान साहब ने बखूबी अंजाम दिया, कार्यक्रम का संचालन जाहिद कानपुरी ने किया, महफिल की शुरुआत करते मौलाना  अदीब आज़मी ने कहा कि अगर यह ख्याल रहे की आखरी इमाम हमारे बीच मे है  तो हम हमेशा बुरे कामों से दूर रहेंगे गरीबों की मदद करेंगे और किसी के भी हक पर डाका नहीं डालेंगे ,
महफिल में मुख्य अतिथि के रुप में पधारे जनाब सादिक मूसा ने कहा लोरपुर की इस शानदार महफिल में उन्हें मुख्य अतिथि के रुप में बनाकर जो हौसला अफजाई की है वह कभी नहीं भूल सकते है महफ़िल कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए सादिक़ मूसा ने कहा कि आज हमारे आखरी इमाम की पैदाइश का दिन है आज खुदा ने माफी के लिए सभी दरवाज़ों को खोल दिया है हमसबको चहिये की आज से हम अपने गुनाहों की तौबा करके एक नई शुरुआत करे  , महफिल में देश के कोने कोने से आए शायरों ने अपने कलाम पेश किए जिसमें जिसमें मशहूर शायर शादाब आजमी ने कहा
“दारा की बात है ना सिकंदर की बात है,
 सुनिये अदब से लब पे पयंबर की बात है “
“मेरी कहां मजाल कहूं नाते मुस्तफा ,
“यह सब कर्म है उसका मुकद्दर की बात है,
 वही सावन हल्लौरी ने महफिल महफिल में अशआर पेश करते हुए कहा
” मुझको मालूम है दर्दे दिल की दवा”
 ए फरिश्तों मुझे कर्बला ले चलो”
 वही डॉक्टर इरफान अतरौली ने महफिल में अशआर पेश करते हुए कहा की
 “शाबान और रजब का कितना हंसी है मंजर,
 सूरज बदल बदल के कुरान आ रहा है ,
सागर बनारसी ने अशआर पेश करते हुए कहा
“आने वाला तो चला आएगा परदे से मगर
सामना कैसे करोगे कोई कोई तैयारी है
शायर शहंशाह मिर्जापुरी ने बेहतरीन कलाम पेश करते हुए कहा “
एक उम्र से तो है इसी इंतजार में एक उम्र से तो है हम इसी इंतजार में ,
शायद इमाम आएंगे अबकी बाहर में ।
शायर अली शब्बन ने महफिल को चार चांद लगाते हुए कहा “
ऐ वारिसे हुसैन तेरे इंतजार में नजरें उठाए कर्बला देख रही है।
 महफिल में कलाम पेश करते हुए
 महफ़िल को पढ़ते हुए मशहूर शायर हुसैन अब्बास ने कहा
” जो निशाने मातमी सरवर का जीवन ले गया,
 खुल्द में अपना बनाकर वह मुकद्दर ले गया
 मशहूर शायर अनवर जलालपुरी ने अपना कलाम पेश करते हुए  कहां “
शाह ने इस जमाने को यह समझाना हुसैन जरूर है अगर जीने में जिल्लत हो तो मर जाना जरूरी है
 शायर अहलेबैत अहले सुन्नत के मशहूर शायर शादाब के कलाम ऊपर मौजूद भीड़ झूम उठी जब उन्होंने अपना मशहूर कलाम
“मदीने में भी देखो ए खुदा अज़मे सफर दे दो ,
अगर दौलत नहीं दी है तो उड़ने के है पर दे दो ।
महफ़िल में आए हुए जायरीनों के लिए जगह जगह शरबत चाय खाना और फलों का इंतजाम किया गया था कार्यक्रम में वशिष्ठ रूप अतिथि के रुप में पधारे जनाब सिब्ते हसन उर्फ जोखन ने  महफिल को संबोधित करते हुए कहा कि उनका लगाओ अंबेडकरनगर की सर जमीन से बहुत ज्यादा है और वह यहां बालिकाओं के लिए मुफ्त शिक्षा देने के लिए एक संस्थान खोलना चाहते हैं उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि लोरपुर के राजा ने उन्हें आश्वासन दिया था कि उन्हें मुनासिब दर पर लगभग 10 बीघा जमीन  देंगे जिससे वह लोरपुर में  एक भव्य बालिकाओं की शिक्षा के लिए विद्यालय की स्थापना करेंगे,  महफिल कार्यक्रम को अंजुमन ए हुसैनिया ने बखूबी अंजाम दिया कार्यक्रम में मुख्य रूप से इंतेज़ार मेहदी , मौलाना शारिब ,इमरान रजा, रोज हैदर, सरकार हुसैन बाबर  ,आफताब हुसैन, शिबू रिजवी ,जासिम, सोनू गुलाम रजा, मोहम्मद कैफि आदि हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे|
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