न्यायालय के फैसले पर पुनर्विचार की मांग को लेकर सौंपा ज्ञापन

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अवधनामा संवाददाता
 मौदहा हमीरपुर। दो दशक पहले गोघरा कांड के बाद गुजरात में हुई साम्प्रदायिक हिंसा के साथ ही बिलकिस बानो के साथ दुष्कर्म और उसके परिजनों की सामूहिक नृसंश हत्या के आरोपियों को गुजरात सरकार द्वारा आजाद किए जाने का विरोध पूरे देश में गूंजने लगा है इसी सिलसिले में गुरुवार को कांग्रेस कमेटी ने सर्वोच्च न्यायाधीश और उच्च न्यायाधीश को सम्बोधित करते हुए तहसीलदार सुक्मा प्रसाद को पांच सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपते हुए फैसले का पुनरवलोकन करने की मांग की है। ज्ञापन में कहा गया है कि,गुजरात सरकार ने  2002 में हुए बिल्किस बानो मामला जिसमें दंगाइयों ने उनके साथ सामूहिक बलात्कार, उनके अजन्मे बच्चे की हत्या और 14 अन्य लोगों की हत्या कर दी थी, में उम्र क़ैद की सज़ा काट रहे 11 दोषियों को अपनी रिहाई नीति के तहत छोड़ दिया है। इस मामले में एक दोषी राधेश्याम शाह ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिहाई की अपील की थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला राज्य सरकार के विवेक पर छोड़ दिया था। जिसके बाद ये 11 दोषी रिहा हुए हैं। राज्य सरकार का निर्णय 5 बिंदुओं के आधार पर मनमाना और असंगत है।
इसके साथ ही राज्य सरकार का यह तर्क कि ‘अपराध की प्रकृति’ के आधार पर इन्हें छोड़ गया है अपराध की गंभीरता को झुठलाने का आपराधिक प्रयास है। जबकि घटना जघन्यतम की श्रेणि में आता है। राज्य सरकार का दूसरा तर्क कि इन्हें इनके अच्छे व्यवहार के आधार पर छोड़ा गया है न्यायसंगत नहीं है। क्योंकि जेल से बाहर आते ही उस जघन्य हत्याकांड में शामिल हिंदुत्ववादी संगठनों ने इन्हें फूल माला पहना कर स्वागत किया। जिससे स्पष्ट होता है कि दोषियों को अपने अपराध पर कोई ग्लानि नहीं है और वे आगे भी ऐसे जघन्य अपराध करने के लिए मानसिक तौर पर तैयार हैं। इन जघन्य अपराधियों का छोड़ा जाना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है। जिसकी हर स्थिति में रक्षा करना न्यायतंत्र और राज्य की ज़िम्मेदारी है। दोषियों की रिहाई संविधान की भावना का भी उल्लंघन है क्योंकि संविधान सिर्फ़ शब्दों से संचालित नहीं हो सकता, उसे कार्यनव्यन में भी अपनी भावार्थ में दिखना चाहिए।
 बताते चलें  कि इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात से मुंबई हाई कोर्ट में इसीलिए स्थांनान्त्रित किया था कि पीड़िता को उसके राज्य में न्याय मिलने की उम्मीद नहीं थी।अतः न्याय के संरक्षक होने के कारण आपसे निवेदन है कि इन दोषियों की रिहाई के राज्य सरकार के आदेश को निरस्त कर न्यायपालिका में लोगों के भरोसे को पुनर्बहाल करें।इस दौरान डा.शाहिद अली,शहजादा चिश्ती, शफकत उल्ला राजू,मोहम्मद जाकिर बब्बन सहित अन्य कांग्रेसी नेता मौजूद रहे।
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