पानी पीने के चलते हुई दलित छात्र की हत्या के विरोध में निकाला कैण्डल मार्च

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अवधनामा संवाददाता हिफजुर्रहमान 

मौदहा हमीरपुर। जिस समय देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा था और प्रधानमंत्री लाल किले से देश के अमृत काल में प्रवेश करने की घोषणा कर रहे थे उसी सप्ताह एक दलित छात्र की पानी पीने के कारण अध्यापक द्वारा की गई बेहरमी से पिटाई के बाद हुई मौत से आक्रोशित भीम आर्मी ने कस्बे में कैण्डल मार्च निकाल कर विरोध जताते हुए न्याय की मांग की जो अपने आप मे चिंता का विषय हो सकता है।
    राजस्थान के जालौर जिले के एक गांव में दलित छात्र इंद्र कुमार मेघवाल द्वारा अध्यापक छैलसिंह के घडे से पानी पीने से आक्रोशित अध्यापक ने अपने पद की गरिमा लांघते हुए छात्र की बेरहमी से पिटाई कर दी कि छात्र के कान और आंखों में गंभीर चोंटें आने के बाद इलाज के दौरान छात्र की मौत हो गई। हालांकि इस मामले में आरोपी अध्यापक छैलसिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है और मामले की जांच की जा रही है।लेकिन इसके विरोध में मंगलवार की शाम कस्बे के देवी चौराहे से लेकर तहसील तक भीम आर्मी के संदीप बाल्मीकि के नेतृत्व में सैकड़ों युवाओं ने कैण्डल मार्च निकाल कर विरोध जताया और मृतक आत्मा की शांति के लिए मौन धारण किया।और न्याय की मांग की।
      बताते चलें कि देश आजादी के अमृत काल में प्रवेश कर रहा है और अमृत पीने के कारण एक छात्र की हत्या कर देना कैसा अमृत काल हो सकता है।जबकि इस सम्बंध में केंद्र सरकार ने बीते 26 जुलाई को लोकसभा में जवाब देते हुए कहा था कि देश में छुआछूत और दलित उत्पीड़न के मामलों में 16% की वृद्धि दर्ज की गई है और राजस्थान राज्य में दलित उत्पीड़न के मामलों में 65% की अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की गई है।जिसे मिटाना आवश्यक है।
     सबसे दुर्भाग्य पूर्ण बात यह है कि आजादी के 75 वर्षों के बाद भी दलितों को कहीं घोड़े पर बारात निकालने तो कहीं पानी पीने के चलते पीटा जाता है जबकि देश के सबसे गौरवशाली पदों पर दलित समाज के लोग विराजमान रहे हैं तो इसे दलित समाज या देश का दुर्भाग्य कहा जाएगा या अमृत काल?
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