लकवा के प्रति जागरूक करने पर दर्ज हुआ ग्रीनिज बुक में नाम

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अवधनामा संवाददाता

मुहिम में शामिल थे लाइफ लाइन सहित देश के 215 अस्पताल

आजमगढ़। भागदौड़ और तनाव भरे जीवन में हाई ब्लडप्रेशर, शुगर के बाद लकवा जैसी गम्भीर बीमारी लोगो के लिए किसी महमारी से कम नहीं है। इसके पीछे सिर्फ तनाव और अनियमित दिनचर्या प्रमुख कारण है।लाइफ़ लाइन हास्पिटल के न्यूरो सर्जन डाक्टर अनूप सिंह ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि सिर्फ आजमगढ़ जिले की बात करें तो प्रति दिन 15 लोग इस बीमारी की चपेटे में आते हैं। इस भयावह बीमारी से ग्रसित होने वाले मध्यम वर्गीय परिवार मरीज का उपचार कराने में आर्थिक तंगी का शिकार होता है। ऐसे में किसी भी बीमारी का सबसे बेहतर उपचार उसके प्रति जागरूक होना होता है। यदि हम शुरू से ही बीमारी के कारणों को जानकर उसके प्रति सजग रहे तो शायद हम शारीरिक , आर्थिक और मानसिक कष्ट से निजात पा सकते है।

इसके लिए कंपनी ने भारत मे लकवा जागरूकता अभियान को शुरू किया। किसी भयावह बीमारी के लिये लोगों को जागरूक करने के लिए यह अबतक का सबसे बड़ा जागरूकता अभियान रहा। 29 अक्टूबर 2021 से शुरू होकर सात दिनों तक चले इस अभियान में लाइफ लाइन सहित देश के 215 अस्पतालों ने भाग लिया था। इतने कम समय में लाइफ़ लाइन  ने 17 हजार छह सौ 99 लोगों को लकवा के प्रति जागरूक करने का काम किया। जिसके चलते आज जागरूकता के लिए ग्रीनिज  बुक में नाम दर्ज हुआ।

बताते चले कि लाइफ लाइन हॉस्पिटल आजमगढ़ वर्ष 2013 में ही स्ट्रोक केयर यूनिट की स्थापना कर 150 से अधिक लोगों को इस भयावह बीमारी से बचा चुका है। इस कार्य के लिए लाइफ लाइन अस्पताल को ूेव ने डायमंड पुरस्कार देकर सम्मानित कर चुकी है। जबकि देश के बड़े और नामचीन अस्पताल सिर्फ गोल्ड और सिल्वर पा सके हैं। प्रेसवार्ता के दौरान डॉक्टर अनूप सिंह यादव के साथ, डॉ गायत्री, डॉ पीयूष, डॉ सुमन यादव,  डॉ आकाश डंगत, डॉ सतेंद्र वर्मा, मिथिलेश तिवारी, नीरज सिंह सहित अन्य कर्मचारीगण मौजूद रहे।

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