‘घर में नोट आंख में आंसू

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एस.एन.वर्मा
मो.7084669136

 

अवधनामा संवाददाता’

घर में जितना ज्यादा नोट निकल रहा है उतना ही ज्यादा आंसू अर्पिता की आंखों से निकल रहे है। मिडया ने बहुत पहले चेताया था बंगाल में शिक्षा जगत में भारी भ्रष्टाचार और अनियमितता चल रहा है। आज मीडिया की बात अक्षरशः सत्य निकल रही है। इतना पैसा इतना गहना इतना रीयल इस्टेट सोच कर सर चकराने लगता है। पार्थ चटर्जी और अर्पिता की जोड़ी के अलावा और कितने लोग संलिप्त है इन लोगों की जोड़ी के अलावा और कितने लोग संलिप्त है इन लोगो के सम्पर्क किन लोगों से है यह तो धीरे-धीरे दोनो के यहां प्राप्त दस्तावेज और डायरी तथा उनके बयानों से उजागर होगे। फिलहाल ममता जी ने पार्थ चटर्जी को हर संस्था और जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया है।
अर्पिता कहती है पैसे किन श्रोतो से आता था मुझे नही मालुम पार्थ और उनके आदमी पैसे लाते थे एक कमरे में जमा करते जाते थे। कहती है उन्हें उस कमरे में जाने की इजाज़त नही है। सवाल उठता है इतना बड़ा कान्ड हो रहा था। पर मुख्यमंत्री को खबर नही। जबकि पार्थ पार्टी में उनके सबसे नज़दकी थे, उनके भतीजे के समकक्ष पार्थ का रूतबा था। सारी पार्टी उनके पीछे थी। ममता जी के पास इन्टेलिजेन्स की फोर्स है, सीआईडी है विजिलेन्स के आदमी है, उनके अपने आदमी है, पार्टी के एमएलए एमपी है, पार्टी के अन्य कैडर के लोग है। इतने बड़े जमात के साथ रह रही मुख्यमंत्री को अपने राज्य, राज्य के संस्थाओं और उनके करीबी, और औपचरिक सम्बन्धों के लोगो से किसी के द्वारा यह नही पता चल पा रहा था कि क्या हो रहा है। पार्थ और अर्पिता के कुछ प्रतिस्पर्धी भी होगे जो ऐसी बाते उजागर करने में दिलचस्पी लेते रहे होगे। फिर इतना बड़ा कान्ड आदमी करे और किसी को खबर न हो विश्वास नही होता। मुख्यमंत्री तक आफवाह तो ज़रूर पहुचती रही होगी। क्योंकि लोग ऐसी बातो को लेकर चुप नहीं रह सकते। पार्थ और अर्पिता के खिलाफ इतने दिनो से कार्यवाई चल रही है। मुख्यमंत्री की लम्बी चुप्पी कुछ सवाल पैदा करती है। अब जाकर चुप्पी तोड़ते हुये कहा भ्रष्टाचार किसी के खिलाफ हो बरदास्त नही किया जायेगा। उन्होंने अब जाकर पार्थ को हर पद और पदाधिकारो से मुक्त कर दिया है। अभी छानबीन चल रही है। विदेश यात्रा का पता लगाया जा रहा है और विदेश में भी पैसा जमा करने का पता लगाया जा रहा है।
ईडी ने अर्पिता और पार्थ से अलग और साथ बैठा कर भी सवाल पूछे है। अर्पिता की तबियत खराब हो गई है। उन्हें अस्पताल ले जाया गया वह अस्पताल जाने को तैयार नही हो रही थी। गई तो गाड़ी से नीचे नही उतर रही थी। पुलिस ने किसी तरह नीचे उतारा। फिर व्हील चेयर पर नही बैठ रही थी यहां भी पुलिस ने किसी तरह उनको व्हील चेयर पर बैठाया। मेडिकल जांच के समय अर्पिता बेहोश भी हो गई। इस पूरी कार्यवाईक के बीच वह फूटफूट कर रोती दिख रही थी।
पार्थ चटर्जी का कहना है वह निर्दोष है उन्हें फंसाया जा रहा है, परेशान किया जा रहा है। अर्पिता पार्थ की अन्तरंग है। अर्पिता कहती है सारा पैसा पार्थ का है। अर्पिता के पास इतना पैसा गहना, जायदाद कहां से आया। पार्थ और अर्पिता की बहुत सी तस्वीरे बहुत नजदीकी पोज में दिखती है। अर्पित कहती भी है। कि पार्थ अक्सर उनके घर आया करते थे। इन दोनो के खिलाफ ईडी जब पूरी जांच कर लेगी तो सारी बातों का पता चलेगा है। इन दोनो की प्रापर्टी दूसरे जगहो पर भी है। यहां एक ही मकान बनाने में पूरी जिन्दगी खप जाती है। जबकि इन दोनो के पास आधे दर्जन से अधिक ही मकान है। इन मकानों में भी काली कमाई छिपी होगी ऐसी सम्भावना है। ईडी धीरे धीरे खगालेगी अभी तो आधा दर्जन नोट गिनने वाली मशीन लगी हुई है जिनसे नोट गिने जा रहे है जो बोरो में पैकेट बनाकर बन्द है।
सम्भावना यह है कि इतने बड़े कान्ड से और इतने करीबी सहयोगी के कारनामो की आंच से ममता को अपने को बचा पाना मुशकिल होगा। ममता के केन्द्रीय नेतृत्व की लालसा को भी झटका लगेगा। यो भी वह अन्य दलो से अपने को दूर रख कर चल रही हैं। अन्य दलो की बैठको से वह नाराज है। उनको लगता है उनकी राय को अहमियत नही दी जा रही है। अन्य दल बिना उनकी सहमति लिये निर्णय ले लेता है। कहती है उपराष्ट्रपति के नाम के लिये उनसे सहमति नही ली गयी न बताया गया। खैर आगे देखिये बंगाल की राजनीति क्या करवट लेती है। ममता सरकार पर खतरे की छाया पड़ रही है।
पार्थ और अर्पिता ने फूक फूक कर कदम बढ़ाया जैसे की ममता कहती है उन्हें कुछ नही मालुम तो दोनो ने काफी गोपनीयता और सर्तकता बरती होगी। उन्हें स्वप्न में भी आशा नही रही होगी कि ऐसा भी दिन आयेगा। उनकी सेवा में दो लाइने प्रस्तुत है।
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