मुर्दो को जिन्दा, जिन्दों को मुर्दा करनें में सरकारी तन्त्र को हासिल है महारत 

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अवधनामा संवाददाता(हिफजुर्रहमान अवधनामा )

हमीरपुर में मुर्दे करते हैं मजदूरी तो महोबा में जिन्दों को कागज में कर दिया मुर्दा। 
हमीरपुर /महोबा : जनपद हमीरपुर जहां सात विकास खंड हैं और सातो भ्रष्टाचार में एक दूसरे से आगे निकलने के लिए सरकारी योजनाओं की धज्जियां उड़ा रहे हैं। इन में बहुचर्चित विकास खण्ड मौदहा एक ऐसा नाम है जहां के कण-कण में भ्रष्टाचार समाया हुआ है, कोई भी विकास कार्य चाहे वह क्षेत्र पंचायत द्वारा कराया गया हो या फिर ग्राम पंचायतों द्वारा कराये गये हों लगभग सभी में कमीशन व रिश्वत खोरी अपनें चरम पर है। मनरेगा के कामों में फर्जी नरेगा जाब कार्ड, तालाबों में चोरी छिपे मशीनों से काम कराना आवासीय योजना का दुरुपयोग करना आदि, ऐसी सरकारी योजनायें है जो गरीबों का कल्याण करने के लिए सरकार चला रही है लेकिन सरकारी कर्मचारियों की सांठ-गांठ से इन में भ्रष्टाचार की ऐसी इबारत लिखी जाती हैं जिसे अन्धेरे में भी पढ़ा जा सकता है। अभी ग्राम पंचायत माचां के फर्जी आवास का मामला ठंडा नही पड़ा था कि ग्राम पंचायत खन्डेह में भ्रष्टाचार का जिन बोतल से बाहर निकल आया है। यहां भ्रष्टाचार की दास्तान ऐसी है जिसे जानकर मानवता  भी शर्मसार होजाती है। सरकारी तन्त्र अधिक लूट, लाभ व लालच में मुर्दो से भी मजदूरी करवाता है जी हां चौकये मत ऐसा ही हुआ है ग्राम पंचायत खन्डेह में जहाँ सचिव व प्रधान की मिली भगत से वर्षों पूर्व मर चुके लोग आज भी गांव के विकास में अपना योगदान दे रहे है लेकिन इन आत्माओं के इस कागजी योगदान से सरकार को भारी चूना लगाया जा रहा है और सचिव अपनी जेब भर रहे है। दर्जनों ऐसे लोग हैं जो सालों पहले मर चुके हैं लेकिन उन का जाब कार्ड आज भी जिन्दा है जो मनरेगा के दिहाड़ी मजदूर है उन का बाकायदा भुगतान भी होता और बैंक से रपये भी निकाल लिए जाते हैं। मिली जानकारी के अनुसार 132 मजदूरों में दर्जनों मरे हुए लोग मजदूरी कर रहे हैं। जीवित लोगों को काम न मिलने से लोग दूसरे शहरों में रोजी-रोटी के लिए पलायन करनें पर मजबूर हैं।
ग्राम पंचायत मनरेगा योजना के तहत जॉब कार्ड जारी किये जाते है। इसकी लिस्ट आप ऑनलाइन भी चेक कर सकते है। नरेगा योजना में किये गए कार्यों का विवरण मस्टर रोल में भरें जाते है। इस मस्टर रोल को ऑनलाइन चेक कर सकते हो। इसके साथ ही जॉब कार्ड धारकों के बैंक अकाउंट में पैसे भेजें जाते है। इस पेमेंट विवरण को भी आप घर बैठे चेक कर सकते हो यह सब पारदर्शिता लाने के लिए सरकार कर रही है लेकिन धन की हवस के शिकार कर्मचारी यह सब होनें के बाद भी हेराफेरी करनें से बाज नही आ रहे हैं। जिस दिन से खन्डेह गांव के भ्रष्टाचार की पोल खुली है उस दिन से सचिव ब्लाक से नदारद है तथा अक्सर उन का फून भी बन्द मिलता है।दूसरी कहानी इस से अलग लेकिन जिन्दा मुर्दा का जादुई खेल यहां भी खेला गया है।
 महोबा : महोबा जिले में बीते दिन  6 बुजुर्ग गले में ‘साहब अभी मैं जिंदा हूं’ का प्लेकार्ड लटका कर जिलाधिकारी के पास खुद को जिंदा साबित करने के लिए पहुंचे बुजुर्गों नें अपनें जिन्दा होनें का सुबूत पेश किया। सरकारी मशीनरी की गड़बड़ी के चलते इन बुजुर्गों को कागजों में मृत दिखाया गया है। इस वजह से इन लोगों को पिछले डेढ़ वर्षों से वृद्धा पेंशन नहीं मिल रही है।
बुजुर्गों का कहना है कि पूर्व ग्राम विकास अधिकारी को रिश्वत न देने पर उन्हें सरकारी कागजों में मृत कर दिया गयाहै अब उन्हें मिलने वाली वृद्धा पेंशन रुक गई।  सरकारी मशीनरी की लापरवाही का यह मामला महोबा तहसील क्षेत्र के ग्राम पचपहरा का है जहां
बुजुर्ग सरमन, गिरजा रानी, कलिया, सुरजी, नंदकिशोर और राकेश रानी सरकार से मिलने वाली वृद्धा पेंशन के सहारे अपना गुजर-बसर करते हैं। लेकिन पिछले डेढ़ वर्षों से पेन्शन इन्के खाते में नही आ रही है जब  यह लोग समाज कल्याण विभाग अपनी पेन्शन के बारे में जानकारी करनें गये तो वहां पता चला कि यह लोग सरकारी कागजों में मर चुके हैं यह सुन कर बूढ़े बुजुर्गों के पैरों तले जमीन खिसक गयी। इस बात को लेकर बुजुर्गों नें जिलाधिकारी को हलफनामे के साथ एक शिकायती पत्र भी दिया जिसमें उन्होंने लिखा है कि सत्यापन के समय पूर्व ग्राम विकास अधिकारी नें 500 रू बतौर रिश्वत मांगें थे जो उन्होंने नें नही दिये थे इस लिए ग्राम विकास अधिकारी नें कागजों में उन्हें मरा हुआ दिखा दिया जिस से उनकी वृद्धा पेन्शन बन्द हो गयी पेन्शन बन्द होनें से जीवन व्यापन बहुत मुश्किल होगया है। इस सम्बंध में जिलाधिकारी मनोज कुमार नें पूरी जांच सी डी ओ को सौंप दी है चांच के बाद सच्चाई का पता लग सकेगा।
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