पन्द्रहवें राष्ट्रपति का अभिनन्दन

0
81

 

एस.एन.वर्मा
मो.7084669136

देश के प्रन्द्रहवें राष्ट्रपति, दूसरी महिला राष्ट्रपति और पहली आदिवासी राष्ट्रपति का हमारा अखबार अभिनन्दन करता है, स्वागत करता है और बधाई देता है। भारत जब आजादी की अमृतोत्सव मना रहा है ऐसें में मुर्म का चुना जाना भारत के प्रजातान्त्रात्मक वसूलों और सबका साथ सबका विकास के अवधारणा का व्योहारिक तर्जुमा है। जिसके लिये किसी प्रचार या प्रमाण की जरूरत नहीं है। 25 जुलाई को मुर्म महामहिम बन कर राष्ट्र के सर्वोच्च गद्दी पर बैठेगी।
मुर्मू के व्यक्तिगत जीवन उनके विकास यात्रा, उनके संघर्ष इस पद तक पहंुचने की कहानी बड़ी प्रेरणा दायक है। सुदूर निर्धन आदिवासी इलाके की बच्ची जिद करके स्कूल जाती है। फिर ग्रजुएशन करती है, सचिवालय की नौकरी करती है, फिर कौन्सिलर बनती है, एमएलए, एमपी बनी है, मंत्री बनती है, गर्वनर बनती है। यह तो उनका उजियारा पक्ष है। ग़म की काली साया ने भी उनकी जिन्दगी को घेरा है। असमय में दो बेटो की मौत, अचानक पति की मौत। दुखों ने घेरा, दुखी हुई पर संघर्ष का रास्ता नही छोड़ा जो उनके व्यक्तित्व की खासीयत है। एक बेटी को अकेली रह कर पाला।
उनकी जीत से पूरा देश खुशी से झूम रहा है। उनके मायके और ससुराल में आदिवासी खुशी से नाच रहे है। वे इस गरीब और पिछड़े तबको में आशा का किरन लेकर आयी है जो उनमें आगे बढ़ने की ललक पैदा करेंगी, संघर्ष से वे मुंह नही मोडेगे।
प्रधानमंत्री ने एक आदिवासी को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाकर विपक्ष को निष्प्रम कर दिया। हालाकि वे प्रतीकात्मक लड़ाई लड़ी पर हतरह से एनडीए का पलड़ा भारी रहा। विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में यशवन्त सिन्हा भी कोई मामूली हस्ती नहीं है। कभी भाजपा के महत्वपूर्ण मंत्री रहे जिनकी राय अहमियत रखती थी। आईएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति में आये। जब वह नौकरी में थे तो एक मंत्री उन्हें डाट रहे थे। उन्होंने तुरन्त निर्भीक होकर जवाब दिया हम न ऐसी बाते सुनते है न एसी बातें सुनने की मेरी आदत है। चुनाव में अपने व्यक्तित्व के अनुसार गरिमामय व्योहार किया और जीत पर अपनी प्रक्रिया दी। मुर्मू को बघाई दी। वह जानते थे संख्याबल एनडीए के पक्ष में है। तीसरे दौर की गिनती में पहुचते पहुंचते स्पष्ट हो गया कि मुर्मू के पक्ष में जीत की संख्या आ गई है। सिन्हा ने शालीनता के साथ अपनी हार स्वीकार की।
मतदान में क्रासवोटिंग भी हुई। विपक्ष के कई सदस्यों ने क्रासवोटिंग की। इस चुनाव ने विपक्ष के एकता का भ्रम तोड़ दिया। उनमें भारी विखराव है। हर पार्टी इसमे अपनी केन्द्रीय भूमिका चाहता है। जिससे विपक्ष की अवधारणा धाराशायी हो जाती है। शुरू में चन्द्राबाबू नायडू ने केन्द्रीय भूमिका निभाने के लिये प्रयत्न शुरू किये पर असफल रहे आज तो उनका अतापता भी नहीं है। अब केसीआर उठे है कुछ विपक्षी नेताओं से पहले प्रयास में बात भी की थी पर बात आगे नहीं बढ़ पाई। फिर नये सिरे से प्रयास में लगे है। केन्द्र तक की दौड़ लगा रहे है। सच पूछिये तो विपक्ष में बुद्धी व्यक्तित्व और क्षमता के लिहाज से शरद पवार सबसे उपयुक्त नेता होने की क्षमता रखते है। सबसे युवा मुख्यमंत्री रह चुके है। शूगर लाबी उनके साथ है। केन्द्र में भी मंत्री रह चुके है। पर वही विपक्ष की कई की केन्द्र भूमिका की लड़ाई की तलाश विखराव पैदा किये हुये है। ममता जी की अलग खिचडी पकती है। केन्द्रीय भूमिका की तलाश में बंगाल के बाहर भी अपनी पर्टी तैयार करने में लगी है। पर खाक हो जायेगे हम तुमको खबर होने तक एनडीए दिन पर दिन मजबूत होती जा रही है। ममता में जुझारनपन है पर महात्वाकांक्षा का शिकार हो गलत इस्तेमाल कर रही है।
विपक्ष को मुर्मू इतना प्रभावी किया की बहुतों ने क्रासवोटिंग की असम में 22 विधायको ने छत्तीसगढ़ में 6 विधायको ने झारखन्ड में 10 विधायकों ने गुजरात में 10 विधायकों ने क्रासवोटिंग की। सांसद भी पीछे नहीं रहे 17 ने क्रासवोटिंग की। यो तो राष्ट्रपति की जीत हमेशा बहुत बड़े मतों से होती रही है। कुल सांसदों और विधायकों की वोटवैल्यू 10.86, 431 है जीत के लिये 5,43,216 की जरूरत थी। जिमें मुर्मू ने आसानी से प्राप्त कर लिया।
आपकी सफलता, गरीब कुचले, पिछड़े तबकों को आकाशदीप बन कर भरे तूफान में भी राह दिखती रहेगी। और प्रेरित करती रही रहेगी। भारत ने संविधान में जिस अवधारणा की कल्पना की है उसको व्योहार रूप में साक्षात रूप में मुर्मू ने उतारा है। इसके लिये मुर्मू के साथ-साथ मोदी सरकार भी बधाई की पात्र है। संवैधानिक जिम्मेदारियों की आप मिसाल पेश करें।

Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here