अवधनामा संवाददाता
आजमगढ़। उ0प्र0 शासन के आदेशानुसार मनाये जा रहे भूजल सप्ताह व आजादी का अमृत महोत्सव के तहत ज्योति निकेतन स्कूल आजमगढ़ में प्रधानाचार्य प्रकाश दास की अध्यक्षता में जल सरंक्षण व वर्षा जल संचयन का कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रधानाचार्य प्रकाश दास द्वारा बताया गया कि जल संरक्षण पहले अपने घर से ही शुरू करें, जैसे खुले नल को बंद करें, मग में पानी रख कर सेविंग करें। कपड़ों में साबुन लगाते समय या खंगालते समय नल बंद रखें।
भूगर्भ जल विभाग के जल वैज्ञानिक आनन्द प्रकाश द्वारा बताया गया कि ‘‘जल है तो कल है, जल बिना जीवन मुश्किल है। उन्होने बताया कि ब्रम्हाण्ड में हमारा ग्रह पृथ्वी ही एक मात्र ऐसा ग्रह है, जहां पर जीवन है एवं जीवन के लिए जल मुख्य तत्व है। बिना जल के जीवन की कल्पना नही की जा सकती है। पृथ्वी पर कुल 71 प्रतिशत भाग जल है। जिसमें 1.6 प्रतिशत भूमिगत जल है और 0.001 प्रतिशत वाष्प और बादलों के रूप में है।
भूजल विज्ञान केन्द्र के समन्वयक इं0 कुलभूषण सिंह द्वारा वीडियो क्लिप के माध्यम से उपस्थित छात्रों को जल संरक्षण व जल संचयन के बारे में चर्चा करते हुए बताया गया कि 1 किग्रा चावल पैदा करने के लिए 3-4 हजार लीटर जल की खपत होती है। विद्यालय के छात्र व छात्राओं द्वारा भूजल संरक्षण पर चित्रकला, पोस्टर के माध्यम से अपनी-अपनी प्रस्तुति दी गयी।
कार्यक्रम में जेई राशिद अली द्वारा बताया गया कि भूगर्भ जल नियंत्रण एवं नियमन लागू कर अंधाधुंध जल के दोहन पर रोक लगाई जाय। शहरी सीमा के भीतर भूगर्भ जल आधारित व्यावसायिक गतिविधियों को प्रोत्साहित न किया जाय।
रामअवध यादव द्वारा बताया गया कि शेरशाह सूरी के शासन काल में भी जल संरक्षण की व्यवस्था की गयी थी, उनके द्वारा बनवाये गये जीटी रोड के किनारे कुएं, तालाब, पोखरों एवं अन्य वाटर बॉडीज का निर्माण कराया गया था, जो कि जल संचयन का अच्छा साधन था। उनमें जल संचयन प्राकृतिक एवं कृत्रिम रूप से भी होता था।
कार्यक्रम को प्रधानाचार्य द्वारा समापन करते हुए उपस्थित छात्रों, अध्यापकों, भूगर्भ जल विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को जल संरक्षण हेतु जल शपथ दिलाई गयी।