नई दिल्ली। दुनिया का सबसे बड़ा नरेन्द्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम प्रधानमंत्री के गृहप्रदेश गुजरात के अहमदाबाद में है। अब प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र काशी (बनारस) में भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम बनेगा जिसमें करीब 345 करोड़ रुपये की लागत आ सकती है। उप्र सरकार इसके लिए जमीन उपलब्ध करा रही है, जबकि उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ (यूपीसीए) इसका निर्माण कराएगा।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड हर राज्य क्रिकेट संघ को 80-90 करोड़ रुपये स्टेडियम के निर्माण पर सब्सिडी देता है। वह यूपीसीए को भी इसके लिए सब्सिडी देगा। बीसीसीआइ के शीर्ष अधिकारी ने दैनिक जागरण से कहा कि सचिव जय शाह और उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने रविवार को राजातालाब तहसील के गंजारी में चिह्नित जमीन को देखा था।
बीसीसीआइ और यूपीसीए को वह जमीन उपयुक्त लगी है। जल्द ही वहां पर निर्माण की आधिकारिक घोषणा की जाएगी। मालूम हो कि शुक्ला यूपीसीए के पूर्व सचिव भी हैं। एक माह पहले केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर और जय बनारस आए थे। उस समय पडरा में भी चार स्थानों पर जमीन देखी थी लेकिन वह बीसीसीआइ को पसंद नहीं आई थी।
बीसीसीआइ पदाधिकारी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चाहते हैं कि बनारस में एक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम बने और उत्तर प्रदेश में अभी यूपीसीए का खुद का कोई स्टेडियम नहीं है। उप्र के कानपुर में ग्रीन पार्क और लखनऊ में इकाना स्टेडियम है। ग्रीन पार्क राज्य सरकार का है और इकाना भी पीपीपी माडल पर बना है।
फिलहाल यूपीसीए ने ग्रीन पार्क को राज्य सरकार से लीज पर ले रखा है जबकि इकाना स्टेडियम के साथ उसका एमओयू है। यूपीसीए को मिलने वाले अंतरराष्ट्रीय मैचों में यूपीसीए टेस्ट का आयोजन ग्रीन पार्क में और वनडे व टी-20 का आयोजन इकाना स्टेडियम में कराता है। बनारस में उसका खुद का स्टेडियम हो जाने पर अधिकतर मैच वहां आयोजित होने लगेंगे।
पूर्वी उत्तर प्रदेश का यह पहला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम होगा। यूपीसीए ने गाजियाबाद में भी कई साल पहले स्टेडियम बनाने के लिए जमीन ली थी लेकिन अब तक वहां पर निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका है। बनारस में स्टेडियम बनने के बाद गाजियाबाद के प्रस्तावित स्टेडियम का अधर में फंसना तय है क्योंकि बीसीसीआइ राज्य क्रिकेट संघ को एक ही स्टेडियम के निर्माण के लिए सब्सिडी देती है।
बीसीसीआइ अधिकारी ने कहा कि अभी हम बनारस में 30 से 35000 दर्शक क्षमता के स्टेडियम के बारे में सोच रहे हैं क्योंकि पूर्व उत्तर प्रदेश में इससे ज्यादा क्षमता वाला स्टेडियम बनाना सही नहीं होगा।