एस.एन.वर्मा
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महाराष्ट्र में भाजपा का मास्टर स्ट्रोक कामयाब रहा जिस सफाई के साथ गुपचुप गठबन्धन सरकार के खिलाफ रणनीति तैयार की गई और बाद में सुत्रधार बने फडनवीस को भी तब तक योजना से अन्जान रक्खा गया जब तक भाजना नेतृत्व को नही लगा कि अब फडनवीस की इन्ट्री का समय आ गया है। शिन्दे और फडनवीस ने मिलकर बड़े शातिराना ढंग से योजना बनाई और अन्जाम तक पहुचाया। ठाकरे की राजनीतिक कौशल कभी ने दोनो के काम को आसान बनाया। शिन्दे के गुट में शिवसेना से टूट कर आने वाले का सिलसिला आखिरी क्षण तक चलता रहा। सरकार बनने के बाद कालान्तर में टूटने वालो की संख्या बढ़ सकती है।
पहले तो शिन्दे और फड़नवीस गुट ने स्पीकर का चुनाव जीता तभी साफ लग रहा था कि शिन्दे बहुमत आसानी से हासिल करेगे। हुआ भी ऐसा ही पक्ष में 164 मत पड़े और विरोध में 99 यह शिन्दे के मजबूत पकड़ के दिखाता है पर इससे फडनवीस का महत्व कम नही हो जाता है। अब जिन 16 विधायकों के अयोग्यता का मामला सुप्रीमकोर्ट में है अगर 16 विधायक आयोग्य करार दिये जाते है तो भी शिन्दे सरकार पर कोई आंच आने वाली नहीं है।
सरकार बन जाने के बाद अब नया खेल शुरू होगा। एनपीपी, कांग्रेस और शिवसेना सरकार को पचा नही पायेगा और नया संघर्ष शुरू होगा। मैजूदा सरकार को कमजोर करने का उधर हिन्दुत्व को लेकर भाजपा और शिन्दे अधिक आक्रमक होगे शिवसेना के हिन्दुत्व की रंगत फीकी पड़ने की सम्भावना बढ़ती जा रही है। ठाकरे की नेतृत्व और कमजोर हो सकता है। जो भाजपा के लिये वरदान होगा। क्योकि ठाकरे व्यक्तिगत रूप से बहुत शान्त और सरल स्वभाव के है। वह मुख्यमंत्री नही बनना चाहते थे पर पत्नी और पुत्र ने ठेल कर उन्हें आगे बढ़ाया। वह नेतृत्व भी छोड़ना चाहते थे पर परिवार वालों ने ऐसा नहीं होने दिया। अब बीएमसी का चुनाव होना है जिस पर शिवसेना को अर्से से कब्जा़ है। इसके चुनाव में भाजपा और शिन्दे दोनो एड़ी चोटी का जोर लगायेगे क्योकि यहां भी इनके नेतृत्व का इम्तहान होगा। उधर गठबन्धन भी ए़डी चोटी का जोर लगायेगा। अगर भाजपा शिन्दे कामयाब होते है या असरदार प्रभाव छोड़ पाते है तो भाजपा के लिये 2024 के चुनाव के लिये अच्छी खुराक मिलेगी। जैसे जैसे समय आगे बढेगा देखना होगा कि एनपीसी, कांग्रेंस गठबन्धन के सम्बन्ध कैसे रहते है। यही बात भाजपा और शिन्दे एलायन्स के लिये भी लागू होती है।
फड़नवीस सरकार से बाहर रहना चाहते थे पर केन्द्रीय नेतृत्व के दबाव में उपमुख्यमंत्री बन गये। फडनवीस योग्य और प्रभावशाली नेता है। पहले भी जब मुख्यमंत्री बने थे उनके पार्टी के आठ दस भाजपा नेता प्रतिस्पर्धा के चलते विरोधी रहे है। भाजपा को देखना होगा आन्तरिक संघर्ष न फूट पड़े वरना सब किया हुआ बेकार हो जायेगा। ठाकरे, कांग्रेस, एनसीपी अब सत्ता से बाहर है वीएमसी चुनाव के और वैसे भी उनके नेतृत्व की परीक्षा की परख होगी। क्योकि भाजपा 2024 को नजर में रखकर अपने प्रभाव का विस्तार बढ़ायेगी। यूपी के बाद महाराष्ट्र से ही ज्यादा संख्या में सांसद आते है। ठाकरे, कांग्रेस और एनसीपी भी अपना जनआधार बढ़ाने की कोशिश करेगे। सत्ता से बाहर रहने पर यह काम बड़ा मुशकिल होता है। पवार के एक मजे हुये होशियार और असरदार राजनेता है उनसे गठबन्धन को ज्यादा आशाये होगी। पवार के लिये भी दिक्कत यह होगी की गठबन्धनके दो साथी कांग्रेस और शिवसेना लगातार कमजोर होते जा रहे है। ज़ाहिर है इनकी कमजोरी का फायदा भाजपा और शिन्दे को मिलेगा सबका फाइनल 2024 में होगा। भाजपा पर ज्यादा भार रहेगा।