एस.एन.वर्मा
मो.7084669136
भाजपा ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक के लिये हैदराबाद चुना। पांच सालो में यह पहली बार है कि बैठक दिल्ली के बाहर आयोजित की गई। मोदी की कोई सोच बेमानी नहीं होती है। उसमें बहुत से सन्देश होते है जिसे हैदराबाद की बैठक से लोगो में पहुचाने में सफल कही जा सकती है। अगले चुनाव में भाजपा की नज़र दक्षिण भारत पर है। उत्तर और पूर्वी भारत की ओर से वह सन्तुष्ट है। अब दक्षिण में वह नई जमीन तोड़ना चाहती है इसलिये इस बैठक की महत्ता खास है कर्नाटक में सफल होने के बाद भाजपा का हौसला बढ़ गया है अब उसकी नज़र तेलंगाना पर है। तेलगंना के प्रधानमंत्री कुछ महीने पहले विपक्षी दलों को एक करने के प्रयास में निकले थे अपने को केन्द्रीय नेता के रूप में स्थापित करना चाहते थे। कुछ विपक्षी नेताओं से बात भी की पर बात नही बने अपने घरौदे में लौट आये। अभी कुछ दिन पहले मोदी सरकार पर बहुत तल्ख बयान दिया था कि हमारी सरकार गिराने का प्रयास हुआ तो केन्द्र सरकार को पलट देगो। मतलब मोदी से सौहर्दपूर्ण सम्बन्ध नहीं है, शिष्ट सम्बन्ध भी नहीं है। प्रधानमंत्री जब बैठक के लिये हैदराबाद पहुचे हवाई अड्डे पर उनकी अगवानी के लिये अपने एक मंत्री को भेजा जबकि विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवन्त सिंह आये तो अगवानी के लिये खुद गये। मोदी से इसलिये भी नाराज़ रह सकते है कि मोदी परिवावाद पर जबरदस्त हमला कर रहे है जबकि टीसीआर अपने पुत्र को राजनीति में स्थापित करने में लगे है। खैर चुनाव में भाजपा तेलंगना सरकार को मजबूत टक्कर देने की तैयारी में है। इसीलिये बैठक के लिये हैदराबाद को चुना। वहां अपना आधार मजबूत करने के लिये काम कर रही है। तेलगना सरकार भाजपा को प्रयासो को समझ रही है। वह अपनी ओर से भाजपा के प्रयासो पर पानी फेरने की तैयारी कर रही है। क्योंकि अगले साल ही यहां विधान सभा चुनाव होना है। इसे लेकर दोनो पक्ष अपने अपने मोर्चेबन्दी में जुटे हुये है। दोनो पक्ष अपनी रणनीति को बनाने और उन्हें अन्जाम देने के लिये प्रयासरत है।
हैदराबाद के राजनीतिक प्रस्ताव में गुजरात दगे का प्रमुखता से उल्लेख किया गया है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री को क्लीन चिट दी है। भाजपा निश्चित रूप से इसे आगामी चुनावों में मुद्दा बनायेगी। क्योंकि लोगो में इसे प्रचारित कर आम लोगो की सहानुमति पाने के लिये यह ट्रम्ब कार्ड बनेगा। मोदी की लोकप्रियता के लिये इसे खूब प्रचारित किया जायेगा। मोदी को बेचारा बताने की कोशिश होगी जिससे पार्टी के प्रति लोगो की हमदर्दी जागेे इस तरह की बातो से चुनाव का टेम्पो पक्ष में हाई हो जाता है।
कभी भाजपा और शिवसेना परिवार मंे बड़ी घनिष्टता थी। पर जबसे दोनो अलग अलग हो गये है भाजपा परिवारवाद को लेकर कड़ी भर्त्सना कर रही है। क्षेत्रीय दलों पर इस बात को लेकर कड़ा प्रहार भाजपा कर रही है। क्षेत्रीय दलों पर नजर डाले तो ज्यादातर लोग अपने वंश को स्थापित किये हुये है या आगे बढ़ाने में लगे हुये है।
इस समय भाजपा महाराष्ट्र में ठाकरे परिवार से अलग हो काफी मुखर हो गई है। पंजाब में आकाली दल से सम्बन्ध टूट चूके है। बिहार में लालू की आरजेडी यूपी में अखिलेश की समाजवादी पार्टी, तेलगाना केसीआर की टीआरएस तमिलनाडु में स्टालिन की डीएमके पश्चिम बंगाल मेें ममता की टीएमसी सभी परिवार के जद मेें है अपने वंश को नेतृत्व सौप चुके है या सौपने की तैयारी में लगे हुये है। मोदी का परिवारवाद तीर इन सभी के निशाने पर है। भाजपा में एक भी परिवारवाद का उदाहरण नही दिखता है। माहौल भी भाजपा के पक्ष में बना हुआ दिख रहा है क्योंकि जो चुनाव हो रहे है उसमें भाजपा के पक्ष में आये नतीजे इसकी पुष्टी करते है। इसीलिये भाजपा उत्साहित है।
भाजपा सरकार के सामने चुनौतियां भी बहुत है। एक तो इस समय जो भाईचारा बिगड़ा हुआ है, प्रदर्शनबाजी और पत्थरबाजी हो रही है। बेरोज़गारी घटा युवाओं में उम्मीद और रचनात्मकता जगाना है। सुशासन स्थापित करना है। कोविड से गरीबी बढ़ी है उससे निजात दिलाना है। इन्ही सब मुद्दो पर सकारात्मक प्रभाव डालकर ही भाजपा आगे बढ सकेगी और आरामदायक स्थिति बने रहेगी।