अवधनामा संवाददाता
अयोध्या। जिला चिकित्सालय के लिए वार्ड में भर्ती 11 लावारिस मरीज आफत बन गए हैं। इन लावारिस लोगों का न तो कोई अता-पता है और न ही ये बीमार हैं। अस्पताल के कर्मचारियों की परेशानी यह है कि इनकी सेवा और सुरक्षा कौन करे। लावारिस वार्ड में भर्ती इन लोगों में कुछ तो एक वर्ष से यहीं पर पडे हैं। सभी लावारिस लोगों की आयु 55 से 65 वर्ष के बीच है। इन लोगों को खाना अस्पताल की ओर से मिल जाता है किन्तु उनके नहलाने, कपड़ा आदि बदलने की व्यवस्था करने वाला कोई नहीं है। पहले पद्मश्री सम्मान से सम्मानित मोहम्मद शरीफ लावारिस लोगों की देखभाल करते थे। किन्तु उनके बीमार होने के बाद अब कोई जिला चिकित्सालय के वार्ड में भर्ती लावारिस मरीज । लावारिसों की देखरेख करने वाला नही है। ‘हिन्दुस्तान’ की ओर से जब वार्ड की पड़ताल की गई तो वार्ड बाहर से बन्द किया मिला। वहां इतनी दुर्गन्ध आरही थी कि आम आदमी वहां थोड़ी देर भी नहीं ठहर सकता। स्टाफ ने बताया कि बाहर से दरवाजा इस कारण बन्द करना पड़ता है कि ये लोग बाहर निकल जाते हैं। ऐसे में यदि कोई हादसा हो जाएगा तो कौन जिम्मेदारी लेगा।” वार्ड में गन्दगी व दुर्गन्ध के साथ लावारिस को रखने के लिए बेड तक नहीं हैं। लावारिसों को जमीन में लिटाया जा रहा है। इस सम्बन्ध में जब प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक से जानकारी की गई तो उन्होंने कहा कि लोगों के लिए वृद्धजन बोझ बन गए हैं। लोग वृद्धाश्रम के स्थान पर जिला चिकित्सालय में छोड़ कर भाग जाते हैं। पुलिस भी यदाकदा लावारिस को अस्पताल में भर्ती कराकर चली जाती है। अस्पताल मरीजों की सेवा करे या लावारिस की। मानवीय दृष्टिकोण को देखते हुए यहां आए लावारिस को हम भगा भी तो नहीं सकते। मरीज हों तो उनका उपचार कर सकते हैं। जो बीमार नहीं हैं यहां से कहीं जाना भी नही चाहते। वार्ड में बेड कम हो गए हैं। एक- एक बेड पर दो दो लोगों को रखा गया है। सफाई करायी जाती है। उन्होंने कहा कि वैसे तो तमाम समाजसेवी हैं किन्तु कोई इन लावारिसों की सेवा के लिए यहां तक नहीं आता।
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