भारत गुलाब बन के दिलों के चमन मे है

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अवधनामा संवाददाता

मुशायरे और सम्मान समारोह मे राष्ट्रगान के साथ कवियों व शायरों ने देश की रक्षा मे क़ुरबान होने वालों को अपनी रचनाओं से किया याद

प्रयागराज : देश भक्ति की रचनाओं से ओतप्रोत कार्यक्रम एक शाम शहीदों के नाम मे जहाँ शायरों ने एक से बढ़ कर एक ग़ज़ल कविता और नज़्म सुना कर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया वहीं समाज सेवा हिन्दी और उर्दू साहित्य और पत्रकारिता मे अहम योगदान देने वालों को संस्था यूनिवर्सल हृयूमन वेलफेयर सोसाईटी व फखरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी की ओर से शॉल मोमेन्टो और प्रशस्तिपत्र दे कर सम्मानित भी किया गया।देर रात तक चले कार्यक्रम मे देशभक्ति की रचनाओं से ओतप्रोत श्रोताओं ने जहाँ जम कर तालियाँ बजाईं वही बीच बीच मे भारत माता के जय के उदघोष के साथ हिन्दुस्तान ज़िन्दाबाद के नारे भी लगते रहे।शफक़त अब्बास पाशा और अज़मत अब्बास के संयोजन मे हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कुँवर बासित अली फखरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी के चेयरमैन अतहर सग़ीर तूरज ज़ैदी का जहाँ आयोजन समिति की ओर से भव्य स्वागत व गुलपोशी की गई वहीं गणमान्य लोगों की उपस्थिति मे दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का आग़ाज़ किया गया।हसनैन मुस्तफाबादी की अध्यक्षता और आफताबे निज़ामत नजीब इलाहाबादी के संचालन मे मुशायरे मे गंगो जमन की बात के साथ गज़ल और कविताओं से देश के रणबांकुरों को खेराजे अक़ीदत पेश की।मनमोहन सिंह तन्हा ने कहा देश की रक्षा मे ही कट जाए यह जीवन सारा-इस धरती का ज़र्रा ज़र्रा हमको अपनी जान से प्यारा।नातिक़ ग़ाज़ीपुरी ने सामयिक ग़ज़ल पढ़ी यह जानते हुए तूफान आने वाला है-घरौंदे रेत के फिर भी बना रहा है कोई।प्रीता बाजपेयी ने मज़ाक़िया अशआर पढ़ते हुए कहा हर बशर पे नक़ाब है की नहीं-यह ज़माना खराब है की नहीं।रोते बच्चों को मैं हँसाती हूँ-यह भी कारे सवाब है की नहीं।मिस्बाह इलाहाबादी ने पढ़ा चराग़ाँ होता है उन लोगों की मज़ारों पर-ज़मीन ओढ़ के जो लोग आज सोते हैं।तरन्नुम नाज़ ने दर्द भरी ग़ज़ल पढ़ी।दर्द ग़ज़लों मे हम इस तरहा समों देते हैं-पढ़ने वाले हमे पढ़ते हैं तो रो देते हैं।अना इलाहाबादी ने देशभक्ति से सराबोर रचना पढ़ी वतन के वास्ते मरना वतन के वास्ते जीना-तिरंगा गर लिपट जाए शहादत रंग लाएगी।नजीब इलाहाबादी ने संचालन के बीच बीच मे देशभक्ति शेरों से लोगों मे जोश भरते हुए पढ़ा याद आते हैं मुझको शहीदाने वतन-खून से सींचा शहीदों ने गुलिस्ताने वतन।वहीं शायर ताजवर सुलताना ,नायाब बलयावी ,ज़की भारतीय ,अशरफ उन्नावी ,अनस बिजनौरी ,रौनक़ सफीपूरी ,रुसतम साबरी आदि ने एक से बढ़ कर एक ग़ज़ल व देशभक्ति तरानों के द्वारा एक शाम शहीदों के नाम को गुलज़ार बनाते हुए देश के रणबांकुरों को खेराजे अक़ीदत पेश की।

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