एस.एन.वर्मा
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महाराष्ट्र के राजनैतिक उठापटक में हर समय संशय के नये मोड़ आ रहे है। बागी विधायको के नेता शिन्दे 49 विधायकों के साथ होने का दावा कर रहे है। शिवसेना सांसद संजय राउत कह रहे है बागी 24 घन्टे के अन्दर मुम्बई आये और बात करे। अगर वे चाहते है महागठबन्धन से पार्टी अलग हो जाय तो उसे पर विचार करेगे। मुख्यमंत्री से बात करें। मुख्यमंत्री कह रहे है अगर पार्टी के लोग चाहते है तो मुख्यमंत्री पद छोड़ दूगा, पार्टी अध्यक्ष का पद भी छोड़ दूगा। पर विधायक मुम्बई आकर आमने सामने बात करे। वही पार्टी में आपने 12 विधानसभा सदस्यों के निलम्बन की संस्तुति की है। उधर राउत कह रहे है बागी विधायको में से 24 ने हमसे सम्पर्क किया है और कहा है वे मुम्बई लौटकर हमारे साथ होगे। राउल आगे कह रहे है अगर फ्लोरटेस्ट हुआ तो सरकार जीत जायेगी क्योंकि गुंहाटी गये सारे विधायक हमारे पक्ष में है। उधर बीच में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कौमिक रिलीफ देते हुये कह रही है विधायक को असम के बजाय हमारे यहां भेजते अच्छी खातिर करते।
बागियों का आरोप है मुख्यमंत्री को पत्र लिखा कि ढाई साल से हम विधायक अपमान सह रहे है। हमारी पार्टी का मुख्यमंत्री होने के बावजूद हमें उनसे मिलने नहीं दिया जा रहा है। जबकि गठबंधन के दूसरे पार्टियो के विधायक को पूरी तवज्जों दी जा रही है। इसीलिये शिन्दे ने यह कदम उठाया है। मंत्रालय हम इस लिये नहीं गये क्योंकि मुख्यमंत्री कभी वहां आये ही नहीं। विधायकों को कैबीनेट मंत्री आदित्य ठाकरे जो उद्धाव सरकार के पुत्र है के साथ अयोध्या जाने की इजाजत नहीं दी गयी। शिन्दे बार-बार अपने साथ 49 विधायक होने का दावा कर रहे है जिसमें 42 शिवसेना के है और 7 निर्दलीय है। इसके अलावा तीन और विधायक गोहाटी शिन्दे के साथ शामिल होने के लिये पहुंच गये है।
समाचार चैनल भी समाचार फैलाने में पीछे नही है। टाइम्स नाऊ नवभारत ने बताया है कि बीजेपी ने शिन्दे को डिप्टी सीएम और 12 कैबीनेट मंत्री का आफर दिया है। संजय राउत ने भी कबूला है अब शिवसेना के पास 20 विधायक है।
शिन्दे ने विधानसभा के उपाध्यक्ष को एक पत्र लिखा था जिस पर शिवसेना के 35 विधायक के हस्ताक्षर है। इसमें सुनील प्रभु की जगह भरत मोमा वाले को शिवसेना विधायक दल का मुख्य सचेतक बनाया गया था। शिन्दे ने कहा है गठबन्धन की कांग्रेस और एनसीपी मजबूत हो रही है जबकि शिवसेना और उसके कार्यकर्ता कमज़ोर हो रहे है।
उद्वाव ठाकरे के प्रशासनिक क्षमता की सभी तारीफ करते है। ढाई साल की अवधि में उन्होंने कई अच्छे प्रशासनिक कदम उठाये। पर राजनैतिक कौशल उनका कमजो़र रहा। जिसका एक नतीजा मौजूदा संकट है। उनके नेतृत्व के नीचे शिन्दे और विधायक अपने प्रतिवाद मजबूत करते रहे अलग होकर गोहाली जाने का कार्यक्रम रचते रहे। मुख्यमंत्री और उनके आदमियों को इसकी भनक भी नही लगी। इसके अलावा हाल के विधान परिषद चुनाव में भाजपा क्रासवोढिग कराकर कम मत होने के बावजूद अपने उम्मीदवार को जित ले गयी। यह पार्टी के चुनाव प्रबन्धन की कमी को दर्शाता है। यह सब राजनैतिक कौशल की कमी की वजह से सम्भव हुआ उसी कौशल की कमी अब के हालात में परिलाक्षित हो रही है।
मुख्यमंत्री ने हालात के शुरूआत में विधायको की बैठक बुलाई थी पर शाम होते होते बैठक कैन्सिल कर दी। यह राजनैतिक कौशल और आत्मविश्वास की कमी की ओर इशारा करता है।
एनसीपी के पास गृह मंत्रालय है। उसने और सहयोगी कांग्रेस ने इसे शिवसेना का अन्तरिक मामला बताकर किनार कशी करली। अब बैठके पर बैठके करने में लगे है। शारद पवार बार-बार मातश्री जा रहे है।
शिन्दे का कहना है शिवसेना जिसकी मुख्य पहचान हिन्दुत्व है उसको ठाकरे ने सत्ता की लालच में त्याग दिया है और गठबन्धन के साथ मिलकर सेकुलर बनने की कोशिश कर रहे है। शिवसेना के मुख्य एजेन्डा को भूल गये है। शिन्दे का कहना है पार्टी महागबन्धन से अलग हो पुराने रास्ते पर चलते हुये इस मिशन में सहयोगी हो उसके साथ मिलकर सरकार बनाये। पर अगर ऐसा हो पाया तो शिवसेना और ठाकरे को छोटा भाई बनकर रहना पडे़गा। यही भी सवाल उठ रहा है कि बदले समीकरण में गठबन्धन पार्टियो का सम्बन्ध कैसा रहेगा। ठाकरे पर सवाल है वह बाला साहब की लीगैसी बचा पायंेगे। अगर अध्यक्ष बने रहे तो भी वह मजबूती दे पायेगे खुद मजबूत रह पायेगे। यह सम्भावना भी बनती है कि शिवसेना का नेतृत्व बदल जाये। अभी जो शिवसेना सड़क पर उतर कर लड़ने की तैयारी में है। शिन्दे कहते है सेना हमें डराये नहीं। शिन्दे कानूनी सलाह भी ले रहे है। भाजपा का कहना है हमारा किसी से भी सम्पर्क नहीं है। जबकि पवार कह रहे है यह भाजपा का खेल है। फ्लोरटेस्ट पर फैसला होगा हम जीतेगे। एनसीपी और कांग्रेस इस समय और नज़दीक आ गये है।
शिन्दे कहते है बाल ठाकरे के वसूलो वाले हम लोग असली शिवसेना है। सवाल है असली शिवसेना अब कौन है। महाराष्ट्र विधान सभा का समीकरण इस प्रकार है। कुल सीट 288 सरकार के लिये बहुमत 144 एनसीपी 53 कांग्रेस 44 शिवसेना 55, भाजपा 106 इस प्रकार एमवीए 119, एनडीए 113 एनडीए के सपोर्ट में है 46 बागी विधायक।