एस.एन.वर्मा
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वैसे भारत के पास 600 अरब डालर का विदेशी मुद्राभन्डार है। पर रूपये के मूल्य में गिरावट यू ही जारी रही तो विदेशी मुद्रा भारी दबाव में आ जायेगा। डालर के मुकाबले रूपये की गिरावट 78 अंक पार कर गयी। अमेरिका की मुद्रा स्फीति, दर में बढ़ोतरी स्टाक मार्केट में गिरावट रूपये की दशा दिशा तय करने की ओर इशारा कर रहे है। आरबीआई पहले से ही मुद्रस्फति से जूझ रहा है वह और दबाव में आता जा रहा है। एफीपीआई ने स्टाक मार्केट से 22000 करोड़ रूपया पहले ही निकाल चुका है। जनवरी से अब तक एफसीआई ने भारत से 240 लाख करोड़ निकाल चुका है जिससे रूपया दबाव मे आता जा रहा है।
पिछले सोमवार को रूपया डालर के मुकाबले 78 से भी नीचे आ गया है। पर आरबीआई डालर निकालने के मूड में नही दिख रहा है। अगर रूपये में गिरावट बनी रही तो आयात तो मंहगा बना रहेगा और निर्यात लोगो को ललचाता रहेगा। एफओएमसी बैठक में अमेरिकी फेड रेट 50 प्वाइन्ट बढ़ा सकता है। भारतीय बाजार तभी स्थिर होगा जब अमेरिकन बाजार स्थिर होगा। साथ अमेरिकी फेड रेट न बढ़ाये। अगर एफपीआई वापस आती है और पैसा निवेश करता है तो बाजार फिर गुलाबी हो उठेगा। आईआईपी में 7.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी अश्वस्त करती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ठीक दिशा में बढ़ रही है।
रूपये के साथ शेयर बाजार में भी गिरावट आई है। इसके लिये बाहरी वजहें जिम्मेदार है हालाकि कुछ हद तक घरेलू वजह भी जिम्मेदार हो सकती है पर बाहरी वजहे मुख्यरूप से जिम्मेदार है। पिछले महीने एक डालर 77 रूपये का हो गया था तब आरबीआई ऐसे कदम उठाने में लगा हुआ था कि यह 77.7 के अंक को पार न करने पाये। अगर डालर बढ कर 78.15 रूपये का हो गया इसे और बढ़ कर 80 के आसपास पहुच जाने की सम्भावना जतायी जा रही है। रूपये में आई गिरावट और शेयर बाजार में चल रही गिरावट जुगलबन्दी के तौर पर दिख रही है। दोनो को जोड़ कर देखने पर ही सही निष्कर्ष पर पहुंच कर राह खोजनी होगी।
दुनियां की अर्थव्यवस्था कोविड की मार से पहले फिर यूक्रेन युद्ध की मार से दबाव में आकर आगे बढती चली जा रही है। युद्ध की वजह से कच्चे तेल की कीमत 120 डालर प्रति डालर पर बढ़ गई है। इसकी वजह से दुनियां की अर्थव्यवस्था मुद्रास्फीति की मार से कराह रही है। इन सबका असर है कि प्रायः दुनिया की हर मुद्रा भारत के रूपये सहित गिरावट की चपेट में है। सेन्सेक्स और रूपये की गिरावट इन्ही की देन है। अब तक ताजे आकड़ो के अनुसार भारतीय शेयर बाजार से विदेशी निवेशक 1.81 लाख करोड़ की निकासी कर चुके है अभी और निकालने की सोच रहे है। सोमवार का मुम्बई के शेयर बाजार का सूचकांक इसी वजह से टूट कर 14.56 अंक टूट कर 52846.75 पर आ गया। नेशनल स्टक एक्सचेन्ज का सूचकांक निफ्टी 427 अंक टूट कर 15735 अंक पर आ गया।
याद होगा पिछले सितम्बर में सेन्सेक्स ने 60,000 अंको के शिखर को छूलिया था। जो एक रिकार्ड है और ऐेतिहासिक घटना का हैसियत रखती है। शेयर बाजार में चल रही गिरावट से सोमवार को शुरूआती सत्र में निदेशको का 5.47 लाख करोड़ रूपये पानी में चला गया।
यूक्रेन युद्ध समाप्त नही होता तो मौद्रिक स्थितियां और भौद्रिक बाजार और विश्व अर्थव्यवस्था को और अधिक बुरे दिन देखने के लिये तैयार रहना पड़ेगा। अर्थव्यवस्था मूल क्षोत्र तेल है जिस पर रूस का कब्जा है। विश्व जनमत रूस के खिलाफ है उस पर पाबन्दियां लगा रहा है पर रूस अपनी तेल कमाई बढ़ाता जा रहा है।