अवधनामा संवाददाता
आजमगढ़। गिरीश चन्द्र श्रीवास्तव आजमगढ़ वासियों दिल मेें बसतें है कभी भुलाये नहीं जा सकेंगे। विकास की होगी, शिक्षा, संस्कृति के विकास होगी या फिर साहित्य अनेको क्षेत्रो में श्रेय जाता है। निश्चित रूप से स्व. गिरीश चन्द्र श्रीवास्तव का नाम जुबान पर आ ही जायेगा। अपनी सहृदयता के कारण ही जीवनपर्यन्त लोगों के दिलों पर राज किया। कहने को तो वह जीवन भर नगर की राजनीति किये मगर शहर के बाहर ही नहीं जिले के बाहर भी कार्याे की वजह से उनकी अलग ही लोकप्रियता थी। व्यवहार कुशलता ऐसा कि वह जिससे एक बार मिल लिये वह उनका होकर ही रह गया। बार-बार वह उनसे मिलने की हसरत पाले रहा। अपने इसी व्यक्तित्व के कारण वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भी नगर पालिका अध्यक्ष बनने में कामयाब रहे। अपने व्यक्तित्व की वजह से ही वह अपनी बारहवीं पुण्यतिथि पर श्रद्धा पूवर्क याद किये जायेंगे। रविवार को बहुत ही सादगी से उनके आवास पर पुण्यतिथि मनायी जायेगी। साधारण परिवार में 25 अगस्त 1954 में पैदा हुए गिरीश चन्द्र श्रीवास्तव का अभावों के साथ चोली दामन का साथ रहा। यही कारण था कि वह गरीबों का दर्द समझते थे, क्योंकि यह दंश उन्होंने खुद भी झेला था। कोई गरीब व्यक्ति अगर अपनी लड़की की शादी का निमंत्रण उन्हें भेज दिया तो शादी के दिन उसके दरवाजे पर पालिका का टैंकर पानी लिये पहुंच जाते थे, साथ ही सफाईकर्मी झाडू लगाकर चूना छिड़काव कर देते थे। वह खुद शाम को बारात आने से पहले बारात की अगवानी के लिये पहुंच जाते थे। शिक्षा-दीक्षा बहुत ज्यादा न होने के बावजूद समाज के लिये कुछ करने का जज्बा उनके अन्दर कूट-कूट कर भरा हुआ था। यही जज्बा उनको देश के लिये कद्दावर राजनेता चन्द्रजीत यादव के निकट ले गया।