श्रद्धा स्थल तो श्रद्धा स्थल है

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एस.एन.वर्मा
मो.7084669136

 

संघ के सर सचालक मोहन भागवत का दिल को छू लेने वाला और प्रोत्साहित करने वाला बयान बहुत ही उपयुक्त समय में आया है। इस समय मन्दिर मस्जिद को लेकर हिन्दू और मुसलमान भाईयों में कटुता आ गई है। हिन्दू हर मस्जिद को पुराना मन्दिर कह रह है तो मुसलमान मन्दिरों पर मस्जिद की छाप बता रहा है। ऐसे में मोहन भागवत ने अपने स्वमग सेवकों को सम्बोधित करते हुये कहा है हर मस्जिद में शिवलिंग ढूढ़ने की कोई ज़रूरत नहीं है। उन्होंने बहुत सही कहा है कि मन्दिरों मस्जिदो का अपना इतिहास है जिसे बदला नहीं जा सकता है। इतिहास के बनने में आज के लोगो की कोई भूमिका नहीं है। न हिन्दुओं की न मुसलमानो की श्रद्धास्थल तो श्रद्धास्थल ही होते है। चाहे वे किसी भी धर्म के हो। यह भी स्पष्ट किया कि अयोध्या अन्दोलन एक अपवाद था। जिसमें संघ प्रकृति के विरूद्ध शामिल हुआ था। अब वह ऐसे किसी भी अन्दोलन का हिस्सा नहीं बनने वाला है। उनका कहना इतिहास में जो कुछ हुआ है उसमें वर्तमान का कोई हिस्सा नहीं है। अतीत में हुई किसी गल्ती को वर्तमान में दोहरा कर न तो हम मिटा सकते है न ठीक कर सकते है। दोहराने या मिटाने की कोशिश करके हम एक गल्ती और कर बैठेगे। अब तो देश में 1991 में बना पूजा स्थल कानून है। जिसके तहत 15 अगस्त 1947 के समय समस्त पूजा स्थलों की जो स्थिति थी वह किसी भी रूप में बदली नहीं जा सकती। इस कानून के परिप्रेक्ष में पूजा स्थलों, मन्दिरों, मस्जिदों को लेकर कोई विवाद उठना ही नहीं चाहिये। इसमें झोल तलाशना देश की ऊर्जा को बर्बाद करना होगा। सामाजिक समरसता में विघटन पैदा करना होगा।
भाजपा में बहुत से कद्दावर नेता है जिनका आरएसएस से पुराना सम्बन्ध रहा है यही नहीं कुछ तो इसके प्रचारक भी रहे है। अब सरकार और नेताओं का कर्तव्य बनता है कि भागवत के सन्देश को घर-घर पहुंचाये। समाज में जो कुछ कटुता आ गयी है उसे देश हित में और समाज के हित में दूर भगाये।
ज्ञानव्यापी मन्दिर का विवाद शुरू होने के बाद कुछ ऐसा माहौल बना गया है कि मन्दिरो, मस्जिदों पर ही नहीं कुतुबमीनार, ताजमहल जैसी ऐतिहासिक स्मारको को लेकर भी सवाल उठाये जा रहे है। स्थानीय स्तर पर छोटे-छोटे हिन्दू-मुस्लिम पूजा स्थलों पर भी सवाल खड़े किये जा रहे है। कुछ तो सूर्खियों में आने के लिये अदालतों में अपील दायर करते जा रहे है। कोविड से मार खाई जनता पर इसे लेकर एक उत्साह पैदा हो गया है। यह खतरनाक और असंगत है।
भागवत ने कहा है मसला कोई हो मिलजुलकर भाईचारा से निपटाया जाये। अगर हल नहीं निकलता तो अदालत से निपटारा लिया जाये। रोज़-रोज़ झगड़ा क्यों बढ़ाना है।
प्रबुद्ध और सेक्यूलर लोग दुखी है अपने लोगो की ऊर्जा के गलत इस्तेमाल से ऐसे में डा. हरिओम पवार की कुछ लाइने बड़ा समया चीन लगती है जो समाज और नेता पर जो गलत राह पर है के लिये सटीक टिप्पणी है। संविधान कराह कर कह रहा है ष् मेरा गलत अर्थ करते हो, सब गुणगान व्यर्थ करते हो। जैसा हिन्दुस्तान दिखा है वैसा मुझमें कहां लिखा है।ष्
इस समय स्थानीय स्तर पर बेवजह तनाव फैला हुआ है। देश और विदेश में गलत सन्देश भी जा रहा है जो स्वभिमानी हिन्दुस्तानियों का चोह हिन्दू हो या मुसलमान दुखित कर रहा है। देश के बटवारा के समय हिन्दू मुसलमान में जो कटुता पैदा हो गई थी। उसके घाव भर गये है। नई पीढ़ी तैयार हो गई है। इस माहोल में कंकड़ फेक कर हलचल पैदा करने की प्रवृत्ति को रोकना पड़ेगा। पहले आरएसएस को काफी हद तक जिम्मेदार ठहराया जाता था ऐसे तनावों के लिये अब उनके संघ संचालक ने चीज़ स्पष्ट कर दी है। स्वागत योग्य सटीक और समयाचीन बयान को घर-घर पहुंचाने की जिम्मेदारी सरकार नेताओं और समाजसेवी संस्थाओं की बनती है। सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा हम बुल बुले है इसकी यह गुलिस्तां हमारा।

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