अवधनामा संवाददाता
बाराबंकी। आयुष्मान भारत योजना गरीब तबके के लिए वरदान साबित हो रही है। इसका प्रत्यक्ष और ताजा उदाहरण हैं, मोहम्मद सलीम। उनकी बीमारी का इलाज सिर्फ डायलिसिस है, जिस पर एक बार में हजारों रुपये खर्च होते हैं लेकिन योजना के तहत उन्हें यह सुविधा बिल्कुल मुफ्त मिल रही है। इससे जहां वो इलाज के लिए कर्ज लेने से बच गए वहीं परिवार वालों को भी एक बड़ी समस्या का बैठे-बैठाए हल मिल गया।
नगर के धनौखर स्थित कस्बा रसूसपुर निवासी मो सलीम (36) बेहद गरीब परिवार से हैं। वह बताते हैं कि 2014 में पथरी होने की समस्या के दौरान क्रिएटिनिन बहुत ज्यादा जांच रिपोर्ट में सामने आया। उनके घर परिवार में आय का कोई पुखता जरिया न होने पर बड़ी ही परेशानी के दौर में गुजरना पड़ा। किसी तरह एक-एक दिन कट रहा था। इस दौरान परिवार के सहयोग से फिर 2017 में लखनऊ के एक निजि हॉस्पिटल में उपचार कराया गया। कुछ समय बाद वहां के डाक्टरों ने क्रिएटिनिन तेजी से बढ़ता देखकर डायलिसिस कराने की सलाह दी गई । मौके पर उसके चलते धीरे-धीरे शुगर, ब्लडप्रेशर व अन्य बीमारियों की वजह से किडनी (गुर्दा) पूरी तरह फेल होने लगा। अब डायलिसिस ही उनका एक मात्र सहारा बचा। डायलिसिस में अधिक पैसे खर्च होने की वजह से वह बहुत ही मुश्किल घड़ी का सामना कर रहे थे। लेकिन जब उन्हें पता चला कि उनके पास जो आयुष्मान कार्ड है उसकी मदद से डायलिसिस मुफ्त हो सकती है। इसके बाद उन्होने व परिजनों ने पूरी प्रक्रिया पता की। उसके बाद छह दिसम्बर 2018 से हिन्द इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में स्थित डायलिसिस यूनिट में निरन्तर भर्ती होकर नि:शुल्क उपचार कराया जा रहा है। सलीम ने अब तक 36 महिने में योजन के तहत करीब 5 लाख 40 हजार का मुपत इलाज करवाया गया। वह सरकार की इस योजना से बहुत ही संतुष्ट हैं। इसके लिए उन्होने प्रधानमंत्री सहित हॉस्पिटल में डायलिसिस यूनिट के समस्त स्टाफ और आयुष्मान मित्र को हृदय से धन्यवाद दिया।
डायलिसिस यूनिट के प्रभारी डा प्रदीप यादव ने बताया कि किडनी के पूरी तरह से विफल हो जाने पर शरीर के सभी कामकाज बंद हो जाते हैं। किडनी फेल होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे किसी बीमारी की वजह से यूरिन का कम हो जाना, हृदयाघात, दिल की बीमारी, लिवर का फेल हो जाना, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, क्रोनिक डिजीज, प्रदूषण, अत्यधिक दवाएं, एलर्जी व गंभीर इन्फेक्शन आदि।
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