एस.एन.वर्मा
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कश्मीर प्रयोजित आतंक का दौर चलाये जाने की कोशिश हो रही है। पाकिस्तान खुद तो बरबाद है उसे पड़ोसी की खुशहाली रास नहीं आती है। पाकिस्तान के नेताओं ने यह अलगाव खुदी चुना था बाद के शासको ने इसमें घी डालना अपना परम कर्तव्य मान लिया है। जिन्ना यह नफरत नहीं चाहते थे पर वहां के मुल्लाओं ने उन्हें सेकुलर नहीं रहने दिया।
पिछले एक महीने में जम्मू-कश्मीर में टारगेट किलिंग की सात घटनाये हुई है। कुलगाम में हुई स्कूल टीचर की हत्या सातवीं है। घाटी के नागरिको खास तौर से हिन्दुओं और कश्मीरी पन्डितो के सुरक्षा का सवाल पैदा कर दिया है। 1990 में घाटी में ताबड़तोड़ हत्ययें हो रही थी। वही मंजर फिर सामने आने का डर पैदा हो गया है। यहां के अधिकारियों को एहसास था की कश्मीर मे बदले हालात आतंकियो को रास नही आयेगा। और वे टारगेट किलिंग का रास्ता चुन लेगे। वही हो रहा है सोची समझी रणनीति अपना कर माहौल को खराब किया जा रहा है हत्याये करके। आतंकी खासतौर से कश्मीरी पन्डितों की हत्या करने में रूचि ले रहे हे ताकी लोगो में यह सन्देश जाये कि सरकार इन उत्पीड़ित लोगो को सुरक्षा देने में नाकाम है। जम्मू कश्मीर खास कर घाटी में रह रहे कश्मीरी पन्डित असुरक्षित महसूस कर रहे है। उन्होंने विरोध में प्रदर्शन भी किया। अब प्रदर्शन बन्द कर सामूहिक पालायन की तैयारी में है। सरकार ने इनकी सुरक्षा के लिये इकी कालनियां को सील कर दिया हैं और आने जाने पर रोक भी लगा दी है। मसले की गम्भीरता देख केन्द्र सुरक्षा को लेकर बैठक कर रहा है जिसमें आला अफसर, कश्मीर के लेफ्टीनेन्द गवर्नर और मिलिट्री के टाप ब्रास हिस्सा लेगे।
जिस शिक्षिका की हत्या हुई है उसका पति भी शिक्षक है। दोनो की पोस्टिग अलग-अलग है। शिक्षिका की पोस्टिंग दूर निर्जन स्थान पर है। कोशिश कर अपना ट्रान्सफर पति के पास कराया था। पर सरकारी आदेश नहीं पहुंच पाया था। इनक परिवार इन्हें जम्मू वापस बुला रहा था। पर सरकारी नौकरी जीविका का साधन है इसलिये वापस नही जा रहे थे।
कश्मीरी पन्डित तो पहले से ही चिन्तित थे पर इसे हत्या ने उन्हें और चिन्तित कर दिया है। कश्मीरियों ने अपनी मांग तेज कर दी है कि उन्हें रीलोकेट किया जाय। पन्डितो की चिन्ता और असुरक्षा की भावना को समझा जा सकता है। पर आतंकियों की रणनीति भी यही है कि यहां के लोगो में हत्या करने से अलगाव बढेगा।
कश्मीर में शान्ति बहाली और सुरक्षा बहाली से ही हालात सामान्य होगे। यह काम छड़ी घुमाते ही नहीं हो जायेगी। इसमें समय भी लगेगा इसलिये लोगो को भी हिम्मत और धीरज से काम लेना पड़ेगा। अतंकियों की सनक का शिकार होने से बचना पड़ेगा। जाहिर है कड़ी तपस्या होगी। यहां का प्रशासन गम्भीरता से काम को अन्जाम देने मेलगा है। पुलिस विभाग ने अश्वस्त करने की कोशिश की है यह कहके कि इस घटना मे शमिल दोषियों की जल्द पहचान कर ली जायेगी और उन्हें अप्रभावी बना दिया जायेगा। सरकार को कानून व्यवस्था पर लोगो का यकीन पुख्ता करना होगा। आम लोगो में सुरक्षा की भावना भरना होगा। यह सब प्रशासन्त के जीरो टालरेन्स नीति की छढता से हो पायेगी। लोगो मे कानून पालन की भावना भरनी होगी और आपसी भाईचारा का माहौल परिपक्व करना होगा। यह सब शासन के त्वरित न्यायपूर्ण निष्पादन से सम्भव होगा। जहां भी ज़रा भी शंका हो वहां त्वरित गति से पहुंच कर लोगो को सुरक्षित महसूस कराना होगा। शासन अपनी गतिविधियों में जितना निष्पक्ष, त्वरित, कानून सम्मत रहेगा। उतना ही लोगो में शासन के प्रति सम्मान, विश्वास बढ़ेगा और सुरक्षा की भावना मजबूत होगी। खुफिया एजेन्सियों की खास भूमिका होगी। वह षडयन्त्रों की पहले से ही पता लगाये और सुरक्षाबलो को ठीक समय पर जानकारी दे षडयन्त्र की नाकाम करा दे। पाकिस्तान सीमा पर मुस्तैदी से निगरानी रख अवाछित लोगो के प्रवेश को रोकना होगा।
सबसे महत्वपूर्ण बात है कि जम्मू कश्मीर की राजनैतिक पार्टियों और हस्तियों को साथ लेना होगा। जनता का साथ पाने के लिये राजनैतिक गतिविधियों शुरू कर आम चुनाव कराना होगा। शासन का सही निर्णय है कि कश्मीरी पन्डितो को हिन्दुओ को मुख्यालय पर रक्खा जायेगा। मोदी और शाह की जोडी ने कई मिथक तोडे है और नई मिथक जोड़े है। जम्मू कश्मीर में दोनो के काबलियत की अग्नी परीक्षा होगी।