अवधनामा संवाददाता
आज़मगढ़। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 10 मई 18 57 की याद में शिब्ली नेशनल पीजी कॉलेज के इतिहास विभाग के सभागार में डॉक्टर शहाबुद्दीन साहब की अध्यक्षता में गोष्ठी संपन्न हुई । गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए डॉक्टर केशरी नाथ सिंह ने आजमगढ़ के संदर्भ को 18 57 की स्वतंत्रता की लड़ाई से जोड़ कर अपनी बात रखी ।डा अलाउद्दीन,डा रवीन्द्र नाथ राय,डा आजाद,डा खालिद अन्य प्राध्यापकों, शोध छात्रो ने अपने वक्तव्य में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम शहीदों को सम्मान पूर्वक याद करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित किया ।वक्ताओं ने कहा कि अट्ठारह सौ सत्तावन को याद करते समय हमें यह नहीं भूलना चाहिए की जंगे आजादी में हिंदू और मुसलमान दोनों संप्रदायों ने मिलकर ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी और उसकी नींव हिला दी ।मजबूर होकर अट्ठारह सत्तावन में जंगे आजादी के बाद ब्रिटिश शासक को कंपनी के हाथों से शासन व्यवस्था अपने हाथ में लेना पड़ा। इस एकता के परिणाम स्वरूप जो जंगे आजादी में सफलता मिली उसे हमारे देश के आम नागरिक अब भूलते जा रहे हैं। पूरे देश में महंगाई, बेरोजगारी, असमानता, गरीबी ,शिक्षा और चिकित्सा का कुप्रबंध ,भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है सारी सार्वजनिक संस्थाओं का निजीकरण हो रहा है। कंपनियां देश को जैसे चाहे वैसे लूट रही हैं मगर हम लोग शासक वर्ग द्वारा खड़ा किए गए एजेंडे पर हिंदू मुस्लिम की भल, भुलैया में उलझे हुए हैं ।यह रास्ता 18 57 से जुड़ने का नहीं है बल्कि उससे भूलने का है ।ऐसे समय में आज हमें अट्ठारह सौ सत्तावन की विरासत को जिंदा रखने के लिए उसके स्वर्णिम काल के अनुभव को नहीं भूलना चाहिए और सब को मिलकर के साम्राज्यवाद के खिलाफ आवाज उठाना चाहिए ताकि कंपनियों केशोषण से मुक्ति मिल सके।