अवधनामा संवाददाता
जिला कारागार में महामंडलेश्वर संत कमल किशोर नं बंदियों को दिया मार्गदर्शन
सहारनपुर। सिद्ध योग मठ अखाड़े के महामंडलेश्वर संत कमल किशोर ने कहा कि मानव को जीने के लिए आवश्यक जल, वायु, सूर्य का प्रकाश, फल दृफूल, अन्न इत्यादि को ईश्वर सभी को बराबर बिना किसी भेदभाव के देता है, लेकिन इन्सान अपने अहंकार के लिए इन्हे धर्म, जाति, भाषा, सीमा, ऊंच-नीच के नाम पर बाँट देता है। “मैं” यानि मेरा कहना दूसरे लोग मानें, इस बात का अहंकार, क्रोध उत्पन्न करता है। क्रोध मे मानव अपना विवेक खोकर अपराध करता है और बाद मे पछतावे के अलावा कुछ हाथ नहीं आता। क्रोध अपराध की जननी तो प्रेम उसको जड़ से नष्ट करने का उपाय है।
सिद्ध योग मठ अखाड़े के महामंडलेश्वर संत कमल किशोर ने जिला कारागार में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान बंदियों को संबोधित करते हुए क्रोध को अंधकार की संज्ञा देते हुए कहा कि जिस प्रकार अंधेरे को रोशनी या प्रकाश से दूर किया जा सकता है ठीक उसी प्रकार क्रोध को प्रेम से जीता जा सकता है, क्योंकि प्रेम निस्वार्थ रूप से देना जानता है, लेना नहीं। संत कमल किशोर ने अपने 150 बार किए गए रक्तदान का उदाहरण देते हुए कहा कि रक्त की आवश्यकता पड़ने पर ब्लड बैंक से कोई जाति या धर्म देखकर रक्त नहीं लेता। आज तक रक्त किसी फैक्ट्री में नहीं बनाया जा सका। मानव का रक्त मानव को ही चढ़ाया जा सकता है किसी जानवर का नहीं। युगों-युगों से रक्त का रंग से लाल रहा है, आने वाले युगों में भी रहेगा और आज भी है तो फिर ये धर्म के नाम पर दंगे, फसाद, जातियता के नाम पर लड़ाईयां, ऊंच-नीच के नाम पर लड़ाई-झगड़े आखिर क्यों? सभी से प्रेमपूर्वक आग्रह करते हुए सन्तश्री ने कहा कि इन सभी से ऊपर उठकर मानवता की सेवा के लिए हम सभी को मिलकर रक्तदान करना चाहिए, जिससे हमारे आपस में खून के रिश्ते बनें। कार्यक्रम को सफल बनाने में कारागार उपाधीक्षक राजेश पांडे, शून्य संस्था के प्रचार मंत्री धीरेन्द्र सिंह राठौर, कार्यक्रम संचालक कारागार उपाधीक्षक अभय कुमार शुक्ला का योगदान अति सरहनीय रहा।