अवधनामा संवाददाता
प्रयागराज। सैम हिग्गिनबॉटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय (शुआट्स), प्रयागराज में वृक्ष से मिले वायु, वायु से मिले आयु पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन पर्यावरण विज्ञान विभाग, कॉलेज आफ फारेस्ट्री द्वारा किया गया। मुख्य अतिथि पर्यावरण संरक्षण गतिविधि (पीएसजी), रायपुर के को-कोआर्डिनेटर राकेश जैन थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति मोस्ट रेव्ह. प्रो0 राजेन्द्र बी. लाल ने की। कार्यक्रम से पूर्व मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथियों ने इज़राइल से मंगाये गये फिग पौधे का वानिकी महाविद्यालय के फारेस्ट नर्सरी व शोध केन्द्र, परिसर में पौधारोपण किया।
प्रति कुलपति (प्रशासन) प्रो0 एस.बी. लाल ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों को संक्षेप में बताते हुए कहा कि वर्ष 1910 में स्थापित यह संस्थान ‘भूखे को भोजन’ व ‘भूमि की सेवा’ के सिद्धान्त पर कुलपति प्रो. आर.बी. लाल के नेतृत्व में कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान में अपना सतत् योगदान दे रहा है। कॉलेज में लगभग 13000 छात्र-छात्रायें, 44 स्नातक, 108 परास्नातक व 72 पीएचडी विषयों में अध्ययनरत हैं।
मुख्य अतिथि राकेश जैन ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण गतिविधि (पीएसजी) बगैर सरकार के सहयोग के पूरे देश में पर्यावरण संरक्षण के लिये जागृत करने का कार्य कर रही है जिसमें छात्र-छात्रायें, महिला शक्ति, धार्मिक संस्थायें सम्यक सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने केदारपाथ त्रासदी, केरल की बाढ़, चेन्नई में जल संकट, पहाड़ों पर कटान आदि घटनाओं का उल्लेख कर इसे मानव निर्मित समस्या बताया। उन्होंने पर्यावरण बचाने के लिये पांच चीजें जल, जन, जंगल, जमीन व जानवर के संरक्षण को आवश्यक बताया। उन्होंने जल बचाने के लिये रेन वाटर हार्वेस्टिंग की बात कही व वृक्ष लगाने एवं पालिथिन का प्रयोग न करने का भी सुझाव दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि कॉलेज में छात्रों को एक पौधा लगाकर उसे तीन वर्षों तक रख-रखाव का लक्ष्य दिया जाना चाहिये।
कुलपति प्रो. राजेन्द्र बी. लाल ने माइक्रो एनवायरोमेन्ट के प्रबन्धन की बात की। उन्होंने ओजोन परत की सुरक्षा हेतु ग्रीन हाउस गैसों को कन्ट्रोल करने की बात कही जिसके लिये अधिक से अधिक लोगों को जागरूक किये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पृथ्वी के पास सबसे बड़ी रिसाइकिल पावर है और मनुष्य, पृथ्वी पर एक चरवाहा है जिसे पृथ्वी का रख-रखाव करना है। उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर सबसे पहले गार्डेन आफ इडेन की स्थापना परमेश्वर ने की जिसे संजोने की जिम्मेदारी मनुष्यों की है।
विशिष्ट अतिथि धार्मिक संस्थान काशी प्रान्त के प्रमुख स्वामी प्रभाकर जी महाराज ने ग्लोबल वार्मिंग से बचने के लिये वृक्षारोपण को जरूरी बताया। उन्होंने जल को बचाने व पालीथि को हटाने की बात कही।
विशिष्ट अतिथि आल इण्डिया एजूकेशनल इन्स्टीट्यूट के को-कॉर्डिनेटर एवं शुआट्स एलुमनी डा. उमेश चन्द्र शुक्ला ने शुआट्स के योगदान की सराहना की। कहा कि उनकी संस्था, पेड़ लगाओ, पानी बचाओं, पालीथिन हटाओं पर कार्य कर रही है। उन्होंने शैक्षिक संस्थाओं में जन्मदिन वाटिका स्थापित करने का सुझाव दिया जिसमें सभी छात्र-छात्रायें व फेकल्टी अपने जन्मदिन पर पौधारोपण कर पूरे कैम्पस को हरा भरा कर सकते हैं।
विशिष्ट अतिथि पीएसजी काशी प्रान्त के कोआर्डिनेटर कृष्ण मोहन ने कहा कि दुनिया, मानव जनित विनाश की ओर बढ़ रही है, प्रदूषित हवा और जल में रहना मनुष्य की विवशता है जिसका मुख्य कारण मनुष्य द्वारा प्रकृति का अंधाधुंध शोषण करना है। कहा कि प्रकृति सर्वोपरि है, शास्त्रों में प्रकृति के साथ समन्वय स्थापित कर चलने की बात कही गई है इसलिये भारतीय संस्कृति की ओर लौटना होगा, अपना नजरिया बदलकर प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारी उठानी होगी तभी इस समस्या का निवारण संभव है।
डीन एवं आयोजन सचिव प्रो0 डा. एन्थोन जे. राज ने कार्यशाला के बारे में प्रतिभागियों को बताया। डा. सत्येन्द्र नाथ ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।
कार्यशाला में शुआट्स वैज्ञानिकों द्वारा विकसित टेक्नोलॉजी, शोध उपलब्धियों की स्मारिका ‘मोस्ट सिग्नीफिकेन्ट रिसर्च अचीवमेन्ट आफ शुआट्स’ का विमोचन किया गया। साथ ही शुआट्स द्वारा संचालित पीपीयूएफआरए प्रोजेक्ट के अर्न्तगत किसानों द्वारा उगाई गई परंपरागत किस्मों हेतु भारत सरकार द्वारा जारी पंजीयन प्रमाण पत्र चन्द्रभान सिंह, दया शंकर कुशवाहा, बुल्लू मौर्या को वितरित किया गया। कार्यशाला में शुआट्स की ओर से डा. हर्षबोध पालीवार को पीएसजी संस्था के साथ कार्य करने हेतु नोडल अधिकारी नामित किया गया।
कार्यशाला में प्रयागराज से यूथ पार्लियामेन्ट में शामिल होने वाले अपूर्व शुक्ला, पूर्व आरटीओ जी.के. श्रीवास्तव ने अपने विचार साझा किये। कार्यक्रम में प्रति कुलपति (पीएमडी) सर्वजीत हरबर्ट, सुबेदार के.के. शुक्ला, शशिकान्त त्रिपाठी, पार्षद आशीष, भूपेन्द्र जी, निदेशक शोध डा. शैलेष मारकर सहित आयोजन समिति के सदस्य डा. आशीष एस. नोएल, प्रो. आलोक मिल्टन लाल, डा सी. जॉन वेस्ली, प्रो. जहांआरा, डा. नीलम खरे, डा. अफाक माजिद वानी, डा. प्रवीण चरण, डा. समीर डैनियल, डा. हर्षबोध पालीवाल, डा. अभिषेक जेम्स, डा. हेमन्त कुमार, डा. एकता पी मिश्रा, डा. श्वेता गौतम, डा. इबा, डा. अमरीन, डा. बिपाशा, डा सोमनाथ सेन, डा. श्रद्धा, मोहम्मद समीर, सतीष कुमार, संजीत कुमार आदि उपस्थित रहे।