लखनऊ ‘मां-बाप बच्चों को स्टेडियम तक तो पहुंचा रहे हैं, लेकिन उनसे मेहनत नहीं करवा पा रहे। एसी और मिलने वाली तमाम सुविधाएं बच्चों का स्टेमिना खत्म कर रहा है। कुछ साल खेलने के बाद ही उनका शरीर जवाब देने लगता है। यह चिंता का विषय है।’ ये बातें भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी ने कही हैं। वह शुक्रवार को अपनी स्पोर्ट्स गैलेक्सी खोलने के लिए लखनऊ आए थे
आपको बता दें कि राजधानी में गैलेक्सी का शिलान्यास शनिवार को आनंदराम जयपुरिया स्कूल आलमबाग में धोनी खुद करेंगे। उन्होंने कहा कि पहले मां-बाप अपने बच्चे को खेलने पर मारते थे, लेकिन आज अंगुली पकड़कर स्टेडियम पहुंचाने जाते हैं। वजह साफ है। अब खेल में भी बेहतर भविष्य की संभावनाएं बन गई हैं।
भारतीय, खेल में आगे हैं लेकिन फिटनेस में पिछड़ जाते हैं। खेल के लिए प्रतिभा के साथ फिटनेस भी बेहतर होनी चाहिए। यूपी में प्रतिभा की कमी नहीं है। यहां के गेंदबाजों को स्विंग में महारत रही है।
धोनी ने बताया कि वह क्रिकेटर न होते तो यकीनन फुटबॉलर या बैडमिंटन खिलाड़ी ही होते। स्कूल के दिनों में उनका मन फुटबॉल और बैडमिंटन में बहुत लगता था। इसी क्षेत्र में वह अपना भविष्य तलाश रहे थे लेकिन बाद में रुझान क्रिकेट की तरफ बढ़ा। धोनी ने कहा कि नेपाल और अफगानिस्तान की क्रिकेट टीमों के शानदार प्रदर्शन से वह बेहद खुश हैं। इन टीमों के बेहतरीन खेल ने साबित कर दिया है कि विश्व में क्रिकेट का दायरा कितनी तेजी से बढ़ रहा है।
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