एस.एन.वर्मा
मो.7084669136
जीव जन्तुओं और वनस्वतियों के संरक्षण के लिये उपरोक्त एक्ट है। जीव जन्तु और वनस्पतियों को पूरा संसार एक कड़ी कायम रख कर चलते है। इस कड़ी में छोटा सा छोटा और बड़ा से बड़ा समान रूप से महत्वपूर्ण है। इस कडी में चीटी, हाथी, घास सभी का बराबर का महत्व है। इस कडी में से एक भी जीव या वनस्पति चाहे कितना छोटा या बड़ा हो हट गयी तो प्रलय की स्थिति आ जायेगी। प्रकृति ने ऐसी व्यवस्था कर रक्खी है कि हम जाने या न जाने यह कड़ी बदस्तूर चल रही है। इसी को ध्यान में रखकर इनके संरक्षण के लिये यह ऐक्ट बनाया गया है और इसे कानूनी दर्जा प्राप्त है। इसके तहत विभिन्न जीवो और वनस्पतियों के संरक्षण प्रबन्धन, निवास, विनियम, व्यापार नियन्त्रण, उन जन्तुआंें और वनस्पतिये तथा उनसे प्राप्त होेने वाले या बनाये जाने वाले उत्पादों आदि के विषय में विस्तृतरूप से निर्देश है। इस एक्ट में एक तालिका है जिसमें ऐसे जन्तुओं और वनस्पतियों की सूची दी गयी है जिन्हें सरकार मदद देती है, सुरक्षा देती है और अनुश्रवण करती है। इस ऐक्ट को कई बार संशोधित करना पड़ा है। आखिरी सशोधन 2006 में हुआ था।
पालियामेन्ट्री स्टैन्डिंग कमेटी जो विज्ञान, तकनीक वातावरण और जंगल जलवायु परिवर्तन से सम्बन्धित है पिछले दिसम्बर में इसे लोक सभा में पेश किया था। कमेटी ने कई कमियां गिनाई है और सुझाव भी दिये है। कमेटी ने पाया कि कुछ जीव जन्तु और वनस्पतियां जो वातावरण मन्त्रालय द्वारा अनुशासित है उन्हें सम्बन्धित तालिकाओं से निकल दिया गया है। सुझाव है इसे पुनरीक्षित किया जाय और सम्बन्धित तालिकाओं में शामिल किये जाय।
मन्त्रालय और स्टैन्डिग कमेटी के प्रस्तावों और विचारों में जो थोड़ी बहुत भिन्नता थी वह दूर हो गई है। दोनो एक बेवलेग्थ पर आ गये है। वाइल्डलाइफ (प्रोटेक्शन) संशोधन बिल 2021 ने 50 संशोधन 1972 के संशोधन ऐक्ट में बताये है। बहुत से संशोधनों को कानूनी सहारा देने के लिये तैयार किया जा रहा है। जिन्हें सरकार ने कनवेन्शन इन्टरनेशलन टेªड इन इनडैन्जर्ड स्पेसीज आफ फाना फ्लोर मे बचन दिया है शामिल करने के लिये। इन्हें नियमबद्ध किया जा रहा है। इसके अन्तरगत जीव जन्तुओं और वनस्पतियों की 38700 प्रजातियां है। जिनका व्यापार होता है। अगर मुल्क इनका नहीं करता है जो कनवेन्शन की सदस्यता से हाथ घो बैठेगा और विभिन्न देशों से इन प्रजातियों के होने वाले व्यापार से प्रतिबन्धित हो जायेगा।
पहले इन प्रजातियों की छह तालिकायें थी उन्हें अब तीन तालिकाओं के अन्दर समाहित किया जा रहा है। पहली तालिका में वे प्रजातियां होगी जिन्हें सर्वोच्च सुरक्षा दी जायेगी। दूसरी तालिका में इससे कम महत्व प्राप्त प्रजातियां जायेगी। तीसरी तालिका बनस्पतियों की होगी।
स्टेंन्डिग कमेटी का कहना है कि तीनो तालिकाओं में कुछ प्रजातियां छूट गयी है। यह भी पाया गया है कि जिन्हें पहली तालिका में होना चाहिये वे दूसरी तालिका में दर्ज है। कुछ प्रजातियां तीनो तालिकाओं से गायब है। एक मुश्किलाहट यह भी है कि कार्यदायी एजेन्सियों को इन प्रजातियों को ढूढने में दिक्कत होगी क्योंकि उनके वैज्ञानिक नाम दिये गये है वह भी लैटिन में दिये गये है।
कमेटी ने तीनों तालिकाओं में भारी सुधार सुझाये है। कहा है पहले और दूसरे तालिका को फिर से बनाया जाय जिससे उनके नाम और पता आसानी से सभी को मालुम हो जाय। कमेटी ने पकड़े गये और समर्पित जानवरों के रख-रखाव के बारे में भी सुझाव दिये है। पर जो अनुशंसा कमेटी ने दिया है हाथियों के ले आने ले जाने के बारे में वह भारी चिन्ता का विषय है। इसके द्वारा हाथियों के व्यापार को भी बढ़ाया मिल सकेगा। चिन्ता का विषय इस लिये भी है कि कुछ राज्यों में सांस्कृति और धार्मिक संस्थायें है जिनके पास हाथियां है जो दैनिक पूजा पाठ और कर्मकान्ड में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है। कमेटी ने ध्यान रक्खा है कि संरक्षण के नाम पर धार्मिक भावनाओं को ठेस नही पहुचे और न तो इनके व्यापार और निजी रखरखाव को बढ़ावा मिले। कमेटी ने कहा है सम्बन्धित मन्त्रालय पकड़ी गयी हाथियों को ले आने या भेजने के लिये प्रावधान बनाये जिसमें इनका ले आना ले जाना उपयुक्त प्रभावीकरण के बाद ही सम्भव हो पाये।
चूकि इको सिस्टम के दुरूस्ती के लिये उपरोक्त बाते अतिआवश्यक है जो ठीक रहेगी तभी दुनियां बचेगी, जीव जन्तु बचेगे, वनस्पति बचेगी और मानव तथा उसकी सभ्यता फले फूलेगी।