अतरौलिया । बायोमेडिकल वेस्ट पर लोगो को दिया गया प्रशिक्षण, डॉक्टर हमीर सिंह द्वारा लोगों को दी गई जानकारी। बता दें कि 100 सैया संयुक्त चिकित्सालय के वरिष्ठ डॉक्टर हमीर सिंह द्वारा बीएमडब्ल्यू (बायोमेडिकल वेस्ट) को लेकर प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें अस्पताल के वार्ड बॉय,स्वीपर और अन्य कर्मचारी सम्मिलित रहे। उन्होंने बताया कि बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण कैसे किया जाए ,अस्पताल से निकलने वाले कचरे को कैसे कहां रखा जाए, जिससे प्रदूषण और इंफेक्शन ना फैले, जिसमें कुछ कचरे इंस्टलाइज तथा कुछ नॉन इंस्टालेशन होते हैं तो वहीं कुछ कचरे ऐसे भी होते हैं जिससे इंफेक्शन होने का डर रहता है, तो कुछ कचरे ऐसे होते हैं जैसे खाने पीने के सामान ,केले का छिलका, फल या कॉटन उन्हें अस्पताल में रखे गए काले डिब्बे में रखने तथा इसके सही तरीके से निस्तारण के लिए कौन सा कचरा किस डिब्बे में रखना है विस्तार से बताया गया। जिसमें स्वीपर, वार्ड बॉय आदि कर्मचारियों को विशेष जानकारी दी गई। कचरे के निस्तारण के लिए जिन कंपनियों से गाड़ी आती है। उन्हें उसमें रखकर बाहर ले जाए जाता है। कुछ कचरे ऐसे होते हैं जिन्हें जमीन के अंदर गड्ढा खोदकर डाल दिया जाता है ,ऐसे ही सभी कचरे को जो अस्पताल में संबंधित बॉक्स बने हैं जैसे काला, नीला ,पीला ,हरा ,लाल ।उन्हें कौन से डिब्बे में कैसा कचरा डालना है बताया गया । अस्पताल कर्मचारियों द्वारा डिब्बों में कचरे को डाला जाता है जिन्हें गाड़ी आती है और ले जाती है जिसमें कुछ गीले कचरे तथा कुछ सूखे कचरे होते हैं। बायो मेडिकल वेस्ट की मैनेजिंग व्यवस्था के लिए गाडि़यां लगाई गई हैं जो इन कचरों को अस्पताल से उठाकर ले जाती है, कुछ कचरे को इंस्टिग्रेड किया जाता है तो कुछ कचरे को जमीन में दबा दिया जाता है वहीं कुछ कचरे को केमिकल डालकर समाप्त किया जाता है जैसे सुई या या लोहे के औजार जिसे ना जलाया जा सकता है ।डॉ हमीर सिंह ने बताया कि सारे कचरे को अलग-अलग डिब्बों में कैसे रखना है और गाड़ी आने पर उन्हें कैसे भेजना है। वही अस्पताल में मरीजों व उनके परिजनों को भी इसकी जानकारी दी गई। अस्पताल परिसर में केले का छिलका ,भोजन आदि इसे काले बॉक्स में डाला जाए वही लाल बॉक्स में खून से सने कॉटन रूई कपड़े कटे-फटे अंग, पीले बॉक्स में प्लास्टिक के सामान आदि को कैसे डालना है उसका प्रशिक्षण दिया गया। इस मौके पर अस्पताल के डॉक्टर तथा स्टाफ मौजूद रहे।