हिन्दुस्तान से वफा की खुशबू पहचान कर ही इमाम हुसैन भारत मे आना चाहते थे (ज़ाकिर अरशद मज़दूर)

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Imam Hussain wanted to come to India only after recognizing the fragrance of loyalty from Hindustan (Zakir Arshad Mazdoor)

अवधनामा संवाददाता

मौलाना आमिरुर रिज़वी ने मजलिस को किया खिताब

प्रयागराज (Prayagraj) : माहे मोहर्रम की चार को दरियाबाद,रानी मण्डी,बख्शी बाज़ार,बरनतला,करैली,चक ज़ीरोरोड,घंटाघर,पानदरीबा,शाहगंज आदि इलाको मे अशरे की चौथी मजलिस मे ओलमाओं ने शहादत इमाम हुसैन का ज़िक्र किया।अहमदगंज स्थित ताहिरा हाऊस मे इमामबाड़ा मोजिज़ अब्बास मे ज़ाकिरे अहलेबैत जनाब अरशद मज़दूर ने खेताब करते हुए इमाम हुसैन की हिन्दुस्तान से उलफत का ज़िक्र करते हुए कहा की इमाम हुसैन को जब यज़ीदी सेना द्वारा शहीद कर देने को घेराबन्दी होने लगी तो उनहोने कत्ल ओ ग़ारत को रोकने के लिए भारत चले जाने की पेशकश की।उनहे हिन्दुस्तान से वफा की खुशबू की पहचान थी।यही वजहा थी की वह भारत आना चाहते थे।उनहे भारतीयों की मोहब्बत पर गुमान था।लेकिन यज़ीदी सेना ने इमाम हुसैन सहित अन्य इक्हत्तर हुसैनी जाँबाज़ो को छल कपट से तीन दिन का भूका प्यासा शहीद कर दिया।पान दरिबा स्थित इमामबाड़ा सफदर अली बेग मे अशरे की चौथी मजलिस को मौलाना आमिरुर रिज़वी ने खेताब करते हुए हुसैन ए मज़लूम के वफादार घोड़े ज़ुलजनाह की बेपनाह खिदमात का ज़िक्र किया।पढ़ा नाना रसूल के वफादार घोड़े ज़ुलजनाह ने एक एक जाँनिसारों की शहादत से पहले जंग के मैदान मे ले जाकर अपनी वफादारी का सबूत पेश किया।इमामबाड़े के अन्दुरुनी हिस्से मे मजलिस के बाद शबीहे ज़ुलजनाह निकाला गया।रेशमी व सूती चादर से ढ़के घोड़े पर गुलाब व चमेली के फूलों से सजा ज़ुलजनाह जब लोगों की ज़ियारत को निकाला गया तो हर ओर से आहो बुका की सदा गूंजने लगी।अन्जुमन अब्बासिया रानीमण्डी के नौहाख्वानो ने पुरदर्द नौहा पढ़ कर माहौल को संजीदा बना दिया।लोगों ने ज़ुलजनाह का बोसा लेते हुए अक़ीदत के फूल चढ़ा कर मन्नत व मुरादे मांगी।मजलिस मे मंजर कर्रार,मिर्जा बाबर,शमशाद,सुहेल,जहाँगीर,मुन्ना,सलीम,माहे आलम,सै०मो०अस्करी,सै०रज़ी ज़हीर ज़ैदी,ज़ामिन हसन,शजीह अब्बास,मुजतबा अली बेग,मुस्तफा अली बेग,शीराज़ जाफरी आदि मौजूद रहे।

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