अवधनामा संवाददाता
जो वाजिब छोड़कर मुस्तहब अपनाते हैं तक़वे से खारिज हो जाते हैं अज्रो सवाब भी नहीं पाते हैं
जो फर्ज़ अदा करने के बाद मुस्तहब अदा करते हैं कई गुना सवाब पाते हैं
हर वो काम करो जिससे जन्नत की नेमत और रज़ाये परवर दिगार हासिल हो,जो जहन्नम की तरफ़ ले जाये उनसे बचो – मौलाना सफी हैदर
बाराबंकी(Barabanki)। जो अपने को जहन्नम से बचाकर जन्नत की तरफ़ ले जाते हैं उनकी मामूली सी भी नेकी कामयाबी की तरफ़ ले जाती है । तक़वे के साथ मामूली सी भी दुआ काफ़ी होती है ।हमें उन गुनाहों से बचना चाहिये जो हमारी दुआओं को बार्गाहे इलाही तक पहुंचने नहीं देते । यह बात मौलाना गुलाम अस्करी हाल में मज्लिसे तरहीम बराए इसाले सवाब बउन्वाने दसवां मरहूमा कनीज़ मेहदी(शन्नो बेगम) बिन्ते सैयद हुसैन जौज़ा सरवर अली रिज़वी को खिताब करते हुए आली जनाब मौलाना सफी हैदर साहब ने कही।उन्होंने यह भी कहा कि हर वो काम करो जिससे जन्नत की नेमत और रज़ाये परवर दिगार हासिल हो,जो जहन्नम की तरफ़ ले जाये उनसे बचो ।जो अपना घर शरीयत के दायरे में सलीक़े से चलाती हैं जेहाद का सवाब पाती हैं । जो वाजिब छोड़कर मुस्तहब अपनाते हैं तक़वे से खारिज हो जाते हैं अज्रो सवाब भी नहीं पाते हैं । जो फर्ज़ अदा करने के बाद मुस्तहब अदा करते हैं कई गुना सवाब पाते हैं । दुश्मन के लिये दिल से दुआ करना भी जेहाद है । जो अल्लाह के करीब होते हैं वो गुनाह से हमेशा दूर रह्ते हैं । अमल से दीन का गासिब खुद को ज़बान से दीन का पैरो कार बताये तो भी वो दीन का पैरोकार नहीं हो सकता ।आखिर में करबला वालों के मसायब पेश किए जिसे सुनकर सभी रोने लगे। मजलिस से पहले मौलाना हिलाल ने पढ़ा- हर गम की दवा हज़रते शब्बीर का गम , और कोई गम किसी गम की दवा बन न सका । मजलिस का आगाज़ तिलावते कलामे इलाही से मौलाना हिलाल अब्बास ने किया ।निज़ामत के फरायज़ अजमल किन्तूरी ने अंजाम दिये। बानिये मजलिस ने सभी का शुक्रिया अदा किया।
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