अवधनामा संवाददाता
आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के प्रदेश अध्यक्ष वसीम राइन ने की केन्द्र सरकार से मांग
बाराबंकी(Barabanki)। हम पसमांदा मुसलमान वर्तमान बीजेपी सरकार से यह मांग करते हैं कि वह धारा-341 से धार्मिक प्रतिबन्ध हटाकर पसमांदा मुसलमानों व ईसाइयों के आरक्षण के संवैधनिक अधिकार को बहाल करके ‘सबका साथ और सबका विकास’ के अपने वादे को पूरा करे।
यह मांग आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के प्रदेश अध्यक्ष वसीम राइन ने केन्द्र सरकार से की है। उन्होंने अपने बयान में कहा है कि धर्म आरक्षण का आधार नहीं होना चाहिए। आरक्षण से सम्बंधित संविधान में धारा 340, 341 और 342 है, जिनमें स्पष्ट रूप से कहीं धर्म शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है। आरक्षण के सभी लाभ जाति और पेशे के आधार पर निर्धारित किये गए हैं। ये साजिश मुस्लिमो और ईसाईयों के लिए रची गयी और यह काम 10 अगस्त 1950 को जवाहरलाल नेहरू ने एक अध्यादेश लाकर किया। कितनी हैरानी की बात है कि उस समय सिक्ख समाज के लोगों ने इसके विरुद्ध आवाज़ उठाई तो 1956 में उक्त अध्यादेश में संशोधन करते हुए सिक्ख तथा वर्ष 1990 में बौद्ध दलितों को भी आरक्षण के अंतर्गत ला दिया गया लेकिन मुसलमान व ईसाई दलितों को आज भी वंचित रखा जा रहा है, आखिर ये कहां का इंसाफ़ है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि नेहरू सरकार ने ये दलित मुसलमानो के साथ नाइंसाफ़ी की इसके लिए नेहरू के साथ मौलाना अब्दुल कलाम व रफ़ी अहमद किदवाई भी बराबर के ज़िम्मेदार हैं। पसमांदा मुसलमान कांग्रेस को माफ़ नहीं करेंगे। आज मुस्लिम की हालत ये हुई है, इसकी ज़िम्मेदार कांग्रेस हैं।
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