अवधनामा संवाददाता
फ़िरोज़ ख़ान देवबंद। (Feroz Khan Deoband) मोहल्ला बेरुन कोटला में साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था जहान ए अदब एकेडमी के द्वारा एक मुशायरे का आयोजन हुआ। जिसमें शायरों ने देर रात तक उमदा कलाम सुनाकर श्रोताओं की जमकर दाद बटोरी।जहान ए अदब एकेडमी के चेयरमैन शायर तनवीर अजमल के निवास ऊर्दू घर में आयोजित मुशायरे का उद्घाटन हाजी फ़िरोज़ ख़ान व दिलशाद खुश्तर ने संयुक्त रूप से फीता काटकर व अदनान अनवर ने शमा रोशन कर किया। इसमें शायर तनवीर अजमल ने पढ़ा..सारा ज़माना रूठता होता ना कोई गम —-उसने मुझे भुला दिया इसका मलाल है..। शमीम किरतपुरी ने कहा..कातिल से तू ज़ख्मों की दवा मांग रहा हे—-नादान है शोलो से हवा मांग रहा है..। दिलशाद खुश्तर ने कुछ यूं कहा..चांद सूरज से भी बढ़ कर तेरा चेहरा निकला — गम का नासूर समन्दर से भी गहरा निकला –। डा. अदनान अनवर ने पढ़ा..ज़माने में ये शोहरत हो गई हे —हमे उनसे मोहब्बत हो गई हे..
। रज़ी उस्मानी ने अपने जज्जाब कुछ यूं बयां किए — प्यार ना हो तो पेड़ के नीचे भी लगे धूप — और अगर प्यार हो सहरा में भी साया सा लगे है — ।फैसल उस्मानी ने पढ़ा गैर तो गैर हैं ग़ैरों से गिला क्या — अपने ही यहां बहुत है आग लगाने वाले
आजम साबरी के इस शेर उनकी महफिल से लौट कर यारो — खुद से ही दूर हो गया हूँ मैं — ने श्रोताओं की खूब वाहवाही लूटी।अध्यक्षता शमीम किरतपुरी व संचालन तनवीर अजमल देवबंदी ने किया। इनके अलावा नफीस खान, सुहैल अकमल, नदीम अहमद ने भी अपने कलाम पेश किए। मुजम्मिल हसन, दानियाल समद, उस्मान खान, फरहान ख्वाजा, डा. मुन्नन खान, बिलाल खान, रिहान कुरैशी, अब्दुल्लाह, अफजल गौर आदि मौजूद रहे।मुशायरा समाप्ति पर सभी लोगो का शायर तनवीर अजमल ने शुक्रिया अदा किया।