अवधनामा संवाददाता
लखीमपुर खीरी- (Lakhimpur Kheri) जब सैंया भए कोतवाल तो फिर डर काहे का जी हां कुछ इसी लीक पर यहां के बड़े-बड़े तेल विक्रेता चल रहे हैं जो कानून को बलाय ताक पर रख कर अपनी समांतर सरकार खुद चला रहे हैं कहने का तात्पर्य है कि लाख विरोधो के बाद भी शहर के थोक विक्रेता करने वाले तेलों पर मनमाने दाम बढ़ाकर गरीबों की थाली में निवाला छीनने का कार्य कर रहे हैl इस तरह का कृत्य करने वाले कालाबाजारियों को ना ही कानून का खौफ है और ना ही जिला प्रशासन का ही डर हैl हाल के दिनों में यह सिलसिला बदस्तूर जारी है भरोसेमंद सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार देश प्रदेश समेत जनपद में कोराना कफ्र्यू क्या लगा मानो बड़े बड़े धन्ना सेठों की चांदी आ गई सूत्रों ने बताया कि जनपद लखीमपुर खीरी के तेल मिल मालिकों एवं डीलरों की मिलीभगत के चलते खुले रुप में बिकने वाला कड़वा तेल जो पूर्व में 100 से लेकर 110 रूपये प्रति किलो की दर से बिकता था वह आज 180 रूपये प्रति किलो की दर से बेचा जा रहा हैl जिसकी गारंटी भी नहीं कि खरीदा गया तेल असली भी है या नकली इसी तरह से नेचर फ्रेश जो पूर्व में 130 रूपये प्रति लीटर की दर से बेचा जा रहा था वह मौजूदा समय में 160 रूपये की दर से खुलेआम बेचा जा रहा हैl सूत्रों एवं कुछ खरीदारों ने बताया कि इसी तरह से सफारी रिफाइंड पूर्व में 120 रुपए प्रति लीटर की दर से बेचा जा रहा था वह अब 145 रूपये की दर से बिक रहा है ऐसा ही कुछ हाल बैल कोल्हू का भी है बैल कोल्हू में 140 रूपये प्रति लीटर की दर से मार्केट में उपलब्ध था मगर कोरोना कर्फ्यू लगते ही इसकी कीमत में उछाल आया है और 1 लीटर तेल 170 रूपये प्रति लीटर की दर को पार कर गया l सूत्रों एवं जानकारों ने बताया कि कोरोना कर्फ्यू का सीधा लाभ बड़े-बड़े उद्योगपतियों को हुआ और वह बेशुमार दौलत के स्वामी बन गए जानकारों की मानें तो डीलरों का साफ कथन है कि जब सीधे तौर पर जिम्मेदार मोटी रकम ले रहे हैं तो डर किस बात का महसूस किया जाए l बात भी सच है कि प्रशासन की नाक के नीचे इस तरह के कृत्य किए जाएं और जिम्मेदार मौन न तोड़े ऐसा तभी संभव होगा जब दाल में कुछ काला होगा