अवधनामा संवाददाता
बाराबंकी। उर्दू दैनिक अखबार अवधनामा के ग्रुप एडिटर एवं वरिष्ठ पत्रकार सैयद वकार मेंहदी रिजवी का आकस्मिक निधन पूरे पत्रकारिता जगत को निराश व हताश कर गया।
पत्रकार आदिल तन्हा ने समूह संपादक सैयद वकार मेंहदी रिजवी के निधन पर अपनी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि सामाजिक तौर पर वकार साहब की सक्रियता कभी भुलाई नहीं जा सकती। खासकर उर्दू भाषा के उत्थान के लिए उन्होने जो प्रयास किये उसकी मिसाल दूर दूर तक नहीं मिलेगी। वह खुद तो सामाजिक कुरीतियों पर संगोष्ठियों का आयोजन करते ही थे वहीं ऐसे किसी भी आयोजन में शामिल होने की आतुरता बेमिसाल थी। सही मायने में वह पत्रकारिता व समाज सेवा एक साथ करने के बेजोड़ हुनर के मालिक रहे। पत्रकारिता पेशा उनके लिये एक मिशन होने के साथ ही किसी जुनून से कम नहीं रहा। इस पेशे के प्रति उनकी लगन का ही नतीजा रहा कि उनकी अगुवाई में उर्दू व हिन्दी में तीन संस्करण प्रकाशित होने लगे। इस पेशे का स्तर ऊंचा बनाये रखने में वकार साहब का योगदान कम नहीं आंका जा सकता। शायद यही वजह रही कि उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाईक ने उनके निधन पर न सिर्फ गहरा शोक जताया बल्कि यहां तक कहा कि वकार साहब का निधन पत्रकारिता क्षेत्र के लिये बड़ा नुकसान है।
हंसमुख एवं मिलनसार मिजाज वाले वकार साहब ने हर किसी की यथासंभव मदद की। वह कहते थे कि यह उनकी खुशनसीबी है कि मालिक ने उन्हें किसी की मदद करने लायक बनाया। कुरीति चाहे धार्मिक हो या सामाजिक वह उसका विरोध करने में हिचकते नहीं थे। वरन वह कहते कि पत्रकार समाज का आईना है वही खामोश रहेगा तो फिर सच का साथ कौन देगा।
यकीनन सैयद वकार मेंहदी साहब का यूं चले जाना बहुत दुखी कर गया। यह एक ऐसा नुकसान है जिसकी भरपाई नामुमकिन है। फिर भी पत्रकारिता के मिशन को कायम रखना धार देना व सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाते रहना ही सैयद वकार साहब को सच्ची व भावपूर्ण श्रद्धांजलि होगी।
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