शिक्षा लोन ब्याजमुक्त हो और छात्रों को मिले साल में 90 दिन रोजगार गारंटी -प्रताप चन्द्रा
लोकतंत्र मुक्ति आन्दोलन के तहत लखनऊ के विभिन्न इंटर कालेजों, डिग्री कालेजों और विश्वविद्यालयों में “लोकतंत्र की पाठशाला” लगानें की श्रंखला में केकेसी डिग्री कालेज के छात्रों के बीच पाठशाला लगाईं गई |
पाठशाला में चर्चा करते हुए लोकतंत्र मुक्ति आन्दोलन के संयोजक श्री प्रताप चन्द्रा नें कहा कि देश में कार लोन और गृह लोन से भी महंगा शिक्षा लोन है जबकि शिक्षा लोन तो छात्रों के लिए पढनें तक तो ब्याज मुक्त होना ही चाहिये जिससे ब्याज के भार से मुक्त होकर अपनी पढ़ाई कर सकें, शिक्षित युवा ही सशक्त भारत बना सकता है,
प्रताप चन्द्रा नें छात्रों से कहा कि चार विषयों पर अमल कराने हेती लोकतंत्र की पाठशाला लगाई जा रही है जिसमें
१- शिक्षा लोन ब्याज मुक्त हो जिससे छात्र ब्याज के बोझ को न सोचकर अपनी पढ़ाई कर सके |
२- छात्रों को मनरेगा की तरह रोजगार गारंटी हो क्यूंकि छात्र देश का भविष्य है जिसे निराशा व् अवसाद से बचाना होगा | जैसे मनरेगा में मजदूरी की गारंटी है, छात्रों को कम से कम वर्ष के 90 दिन रोजगार की गारंटी हो जिससे 36 हज़ार रुपये मिल सके ताकि अपने निजी खर्चों के लिए किसी के आगे हाथ न फैलाना पड़े और शेष 275 दिन अपनी पढ़ाई या परीक्षा की तैयारी कर सके तभी सशक्त भारत की कल्पना साकार होगी |
३- NOTA को राईट-टू-रिजेक्ट माना जाये जिससे अच्छे उम्मीदवार चुनाव में आयेंगे और अगर जनता किसी उम्मीदवार को अपनें प्रतिनिधि के लायक नहीं समझती है तो उसे रिजेक्ट कर सकेगी इस डर से पार्टियाँ भी अच्छे प्रत्याशी खड़ा करेंगी और चुना हुआ प्रतिनिधि जनहित में काम करने को बाध्य होगा |
४- प्रत्याशी की फोटो ही चुनाव-चिन्ह हो क्यूंकि EVM पर अब प्रत्याशी की फोटो लगने लगी है, अब वोटर अपने प्रत्याशी को फोटो से पहचान कर वोट दे लेंगे इससे न सिर्फ प्रतिनिधि जनता के बीच रहनें को बाध्य होगा बल्कि सबसे महंगी बिकाऊ चीज चुनाव चिन्ह की नीलामी बंद हो जाएगी जिससे राजनीतिक भ्रष्टाचार ख़त्म होगा और लोकतंत्र प्रभावी हो जायेगा |
समाजसेवी श्री एम् एल गुप्ता नें संबोधित करते हुए कहा कि लोक-तंत्र में नागरिक अपनी समस्या के समाधान हेतु अपना जन-प्रतिनिधि चुनता है और अपेक्षा करता है कि उनका जन-प्रतिनिधि उनकी समस्याओं के लिए जवाबदेह होगा परन्तु चुना हुआ जन-प्रतिनिधि के बजाये दल-प्रतिनिधि बन जाता है और जनहित के बजाये जनहित में काम करनें लगता है और जवाबदेही बदलकर दल के प्रति हो जाती है |
शिक्षाविद श्री एम पी यादव नें कहा कि लोकतान्त्रिक मूल्यों और संवैधानिक अधिकारों को जानना आज की आवश्यकता है, आज सोशल मीडिया के जमानें में छात्रों को न सही जानकारी मिल पाती है और न ही वो जानने के लिए समय निकलते हैं ऐसे में कालेजों का और भी दायित्व बढ़ जाता है छात्रों को उनके अधिकारों और लोकतान्त्रिक मूल्यों को बतानें का जिसके लिए “लोकतंत्र की पाठशाला” अभियान बिलकुल उपयुक्त कदम है |
अगली लोकतंत्र की पाठशाला 30 जनवरी को लखनऊ के आशियाना कालोनी स्थित महाराजा पासी किला पोस्ट ग्रेजुएट कालेज में होगी जिसमें शहर के कई लोकतंत्र के पैरोकार छात्रों को अपने अनुभव बाटेंगे |
https://www.youtube.com/watch?v=CPvzcJMuhJk