सरहदों पर जां लुटाकर सो गए…..

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Slept on the borders and slept .....

अवधनामा संवाददाता

साहित्यकार स्व. हेमवंत की स्मृति में हुआ काव्य संध्या का आयोजन

फ़िरोज़ ख़ान देवबंद। (Firoz Khan Deoband.)  साहित्यिक संस्था चेतना के तत्वावधान में साहित्यकार स्व. हेमवंत की स्मृति में काव्य संध्या का आयोजन किया गया। इसमें रचनाकारों ने अपने काव्य के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित की।
शिक्षक नगर में आयोजित हुई काव्या संध्या का शुभारंभ अरविंद कुमार ने दीप प्रज्जवलित कर किया। मीरा चौरसिया की सरस्वती वंदना से प्रारम्भ हुए कार्यक्रम में डा. दीवाकर गर्ग ने सुनाया ‘बूढ़ा बचपन नम आंखों से कई जवानी ढूंढ़ रहा हूं, कूड़े की ढ़ेरों के भीतर रोटी पानी ढ़ूंढ़ रहा हूं’। प्रह्लाद सिंह सांसी ने कुछ यूं कहा ‘दिया जो योगदान था उसको न भूलेंगे हम, चलकर हेमवंत जी की राह पर आसमां छू लेंगे हम’। कुणाल धीमान ने पढ़ा ‘थे समाजसेवी वो कैसे करुं गुणगान तेरा, स्वर्गीय हेमवंत जी को है दिल से नमन मेरा’। मनोज मनमौजी ने कहा ‘सरहदों पर जां लूटाकर सो गए, वो तिरंगे को उठाकर सो गए, सिरफिरे या फिर दिवाने थे कोई, गोद में धरती के जाकर सो गए’। प्रांशु जैन ने सुनाया ‘एक दिन जो वो मुस्कुराते हुए रात में निकले, अजब इत्तेफाक हुआ दो चांद साथ में निकले’। अध्यक्षता डा. दीवाकर गर्ग व संचालन प्रांशु जैन ने किया। आदेश चौहान, शुभम शर्मा, शिवम चौहान, ऋतेष विश्वकर्मा, तुषार, विपिन शर्मा, राखी सिंह आदि मौजूद रहे। अंत में संस्था के महामंत्री गौरव विवेक ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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