बाबरी मस्जिद के फैसले को लेकर दो मजहब के दोस्तो के ऊपर लिखी किताब ने मचाया धमाल

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A book written on the friends of two religions created a ruckus regarding the decision of Babri Masjid
अवधनामा संवाददाता
अलीगढ। (Aligarh) बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिये गए फैसले को लेकर दो विशेष समुदाय के लोगों के दिलों में इस तरह का मनमुटाव आया है और दोनों मजहब के लोगों की दोस्ती में किस तरह का बदलाव देखने को मिल रहा है इन्हीं सब बातों को लेकर एएमयू के राजनीति विज्ञान के शोधकर्ता छात्र ने बाबरी मस्जिद के फैसले को लेकर दो मजहब के दोस्तो के ऊपर लिखी किताब ने इन दिनों  धमाल मचा रखा है किताब लिखने वाले शोधकर्ता छात्र के द्वारा बारीकी से किताब में भिन्न भिन्न बातों को लिखकर किताब में जान डालने की कोशिश की गयी है।
दरअसल अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के शोधकर्ता फैयाज हुसैन ने बाबरी मस्जिद के फैसले पर एक उपन्यास लिखा है।जो हिंदी ज़बान में है जिसको खूब पसंद किया जा रहा है। फैयाज हुसैन कथा उपन्यास के जरिए यह बताना चाहते हैं कि बाबरी मस्जिद के फैसले के बाद मुल्क के नौजवानों की सोच में फर्क आ गया है। यहां तक कि हिंदुस्तान हिंदू मुस्लिम दोस्ती और मोहब्बत में भी फर्क आ गया है। कथा उपन्यास में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के फरहान और स्वाति के बीच की दोस्ती और मोहब्बत के जरिए बताया गया है कि बाबरी मस्जिद के फैसले के बाद किस तरह से इनकी दोस्ती और मोहब्बत में दरार पड़ जाती है क्योंकि फरहान का मानना है कि बाबरी मस्जिद का फैसला एकतरफा है जिसकी वजह से फरहान की प्रेमिका स्वाति फरहान से नाराज हो जाती है और वह कहती है कि अब तुम सेकुलर नहीं रहे। तुम कम्युनल बातें करते हो तो फरहान कहता है कि क्या मुसलमानों के हक की बात करना कम्युनल हो जाना है?
फरहान स्वाति से कहता है अगर तुम कहती हो कि मैं कम्युनल हो गया हूं तो मैं मान लेता हूं कि मैं कम्युनल हो गया हूं। लेकिन क्या तुम बताना चाहोगी  कि मेरे इस कम्युनल होने की वजह क्या है, इसका जिम्मेदार कौन है? वहीं किताब के लिखने के बाद से ही लोगों मे किताब को पढ़ने की उत्सुकता बढ़ती जा रही है।
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