प्रभु यीशु ने मानव जाति के पापों के लिए बलिदान दिया: डा. सुधा लाल

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यीशु दरबार चर्च में विशेष प्रार्थना सभा आयोजित

Lord Jesus sacrificed for the sins of mankind: Dr. Sudha Lal
अवधनामा संवाददाता

नैनी, प्रयागराज।  (Naini, Prayagraj) यीशु दरबार चर्च द्वारा गुड फ्राइडे (शुभ शुक्रवार) के अवसर पर विशेष प्रार्थना सभा आयोजित की गयी जिसमें प्रभु यीशु मसीह के क्रूस पर बोले गए सात वचनों को जीवंत किया गया। इस अवसर पर विभिन्न वक्ताओं द्वारा यीशु दरबार चर्च में सातों वचनों को बताया गया। कार्यक्रम में सीमित संख्या में शुआट्स अधिकारी गण एवं श्रद्धालुगण सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करके उपस्थित रहे और कार्यक्रम का आयोजन सोशल मीडिया यू-ट्यूब पर लाईव प्रसारण किया गया।
शुआट्स की निदेशक कैम्पस मिनिस्ट्री एवं यीशु दरबार की उपाध्यक्षा डा. सुधा लाल ने पहला वचन ‘‘हे पिता इन्हें क्षमा कर…’’ के बारे में बताते हुए कहा कि प्रभु यीशु धरती पर हमारे लिए आया और हमारे पापों के लिए बलिदान हुआ ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे उसका उद्धार हो सके। प्रभु यीशु मसीह ने क्रूस पर चढ़ाये जाने के बाद भी परमेश्वर से मानव जाति को क्षमा करने की प्रार्थना की। प्रभु यीशु ने परमेश्वर से कहा कि ये मनुष्य नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं। डा. सुधा लाल ने कहा कि प्रभु यीशु मसीह ने मानव जाति के पापों के पश्चाताप के लिए अपना बलिदान दिया ताकि मनुष्य परमेश्वर पर विश्वास करे और पापी न ठहर सके।
प्रति कुलपति (पीएमडी) प्रो0 रेव्ह. सर्वजीत हरबर्ट ने दूसरा वचन  ‘‘आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा…’ को सुनाया। रेव्ह. डेविड फिलिप्स ने तीसरा वचन ‘‘हे नारी ये तेरा पुत्र है….’’ के बारे में बताया। चैथा वचन ‘‘एली एली लामा शबक्तनी’’ के बारे में निदेशक आईपीसी प्रो0 जोनाथन ए. लाल ने बताया।
कीनिया से आये डा. चियागोजियन ने पांचवां वचन ‘‘मैं प्यासा हूँ..’’ के बारे में बताते हुए कहा कि प्रभु यीशु मसीह हम सभी का उद्धार चाहता है, हमें उस पर विश्वास करके उसके बताये मार्ग पर चलना चाहिये।
कुलपति एवं यीशु दरबार चर्च के बिशप मोस्ट रेव्ह. प्रो0 राजेन्द्र बी. लाल ने छठा वचन ‘‘पूरा हुआ…’’ तथा सातवां वचन ‘‘मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूँ’’’ के बारे में बताते हुए कहा कि प्रभु यीशु, पिता अर्थात परमेश्वर से निकला था इसलिए अन्त में उसने अपनी आत्मा को पिता के हाथों में सौंप दिया और मृत्यु पर विजय को प्राप्त किया। इसलिए हम सभी को मृत्यु के भय को त्यागकर सच्चाई, शान्ति और प्रेम के मार्ग पर चलना चाहिये और प्रभु यीशु मसीह की धार्मिकता को अपनाना चाहिए।
गाॅस्पल इन्स्टीट्यूट क्वायर के बच्चों ने गीत की प्रस्तुति दी। यीशु दरबार की महिलाओं ने भजन की प्रस्तुति दी।

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